नियुक्ति भ्रष्टाचार : पार्थ के जमाने में मजदूरी करने वालों के लिए करोड़पति बनने का शॉर्टकट, दलपति की संपत्ति चौंकाने वाली

कोलकाता : पश्चिम बंगाल का बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार सुर्खियों में छाया हुआ है। इसमें रोज नए खुलासे हो रहे हैं और कई नए किरदार सामने आ रहे हैं जिन्होंने लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में वसूली की है। इस संबंध में जांच कर रहे केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) सूत्रों ने बताया है कि वर्ष 2011 में जब पार्थ चटर्जी को ममता कैबिनेट में शिक्षा मंत्री बनाया गया उसके बाद से ही नियुक्ति में भ्रष्टाचार की साजिशें रची जाने लगी थीं और जो लोग सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ कर बिचौलिया का काम करना चाहते थे उनके लिए सुनहरा मौका बन गया था, मसलन गोपाल दलपति। नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में इस आदमी का नाम बहुत देर से सामने आया लेकिन अब उसके जब राज खुल रहे हैं तो कई बड़े खुलासे हो रहे हैं।

पता चला है कि वह पान की दुकान चलाता था लेकिन केवल रुपये के एवज में नौकरी बेचने वाले गिरोह में शामिल हुआ और करोड़पति बन गया। एक दिन पहले ईडी ने उसके करोड़ों की संपत्ति का खुलासा किया है। पता चला है कि उसकी 65 संपत्तियों के दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी के हाथ लगे हैं। ये दस्तावेज या तो उसके नाम हैं या उसकी दूसरी पत्नी हेमंती गांगुली के नाम पर। खास बात यह है कि कभी दमदम मंदिरतला रोड की जमीन उसके नाम पर दिखती है तो कभी पूर्व मेदिनीपुर, हावड़ा, हुगली समेत अन्य जिलों में उसकी संपत्तियां मिली हैं। उसने गोपाल दलपति और अरमान गांगुली दोनों ही नाम से जमीन और फ्लैट खरीद रखा है। संपत्ति की कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में तृणमूल युवा नेता कुंतल घोष की गिरफ्तारी के बाद गोपाल दलपति के बारे में खुलासा हुआ था। पता चला था कि वह प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य का बिजनेस पार्टनर है। इसके बाद वह कई दिनों तक लापता रहा और जब केंद्रीय एजेंसी ने उसके खिलाफ जांच शुरू की तो पता चला कि वह भी एक बड़ा गुर्गा है। एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया है कि उसकी संपत्तियां कहां-कहां मिली हैं।

इस दस्तावेज से पता चलता है कि किस्मत बाजकुल मौजा में 2011 में एक जमीन बेची गई थी। विलेख संख्या 05822। 2012 में कुल 19 भूमि बिक्री हुई है। 2013 में जनाई, देउलबार मौजा में 15 जमीनें बेची गई थीं। 2014 में चमरिल मौजा में दो जमीनें बिकीं। देवीपारा मौजा में 2016 में पांच प्लॉट बेचे गए। विलेख संख्या 03663। 2017 में, देवीपारा, जनाई मौजा में कुल 12 जमीन की बिक्री हुई। 2018 में, देवी पारा में कुल नौ भूमि की बिक्री हुई थी। 2019 में यहां पांच जमीनें बिकीं। यह सारी जमीनें गोपाल दलपति ने खरीदी। 2020 में जगाछा मौजा में 87 लाख रुपये की जमीन उसने मां को दान में दी। विलेख संख्या 02610।

इस बारे में गोपाल का कहना है, ””क्या संपत्ति रखना गलत है? मेरे पास 65 से अधिक डीड हो सकते हैं। एक करोड़ क्या 25 लाख करोड़ हो सकते हैं। लेकिन, हमें यह देखना होगा कि पैसा कहां से आया। मेरा यह पैसा सही काम से आया है। मैं जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हूं। हालांकि उनसे जब पूछा गया कि एक पान दुकान से आपने कितनी कमाई की थी कि आपके पास इतनी संपत्ति हो गई? तब उसने फोन काट दिया।

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