– थोड़ी देर पहले कुणाल ने भी लिया था इन्हीं नेताओं का नाम
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंद पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने विपक्ष के कई नेताओं का नाम लेकर नियुक्ति भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया है। दिलचस्प बात यह है कि उनके बयान से ठीक 18 मिनट पहले तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी अपने ट्विटर पर इन्हीं नेताओं का नाम लिखकर इसी तरह का दावा किया था जिसके बाद से सवाल खड़े हो रहे हैं। 11:45 बजे के करीब कुणाल घोष ने अपने ट्विटर पर लिखा कि ऐसा पता चल रहा है कि पार्थ चटर्जी को भाजपा नेता दिलीप घोष, समिक भट्टाचार्य, शुभेंदु अधिकारी और माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने उन लोगों की सूची दी थी जिन्हें गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया जाना था। अगर ऐसी बात है तो इसकी जांच होनी चाहिए।
इसके बाद 12 बजे के करीब कोर्ट में पेशी के समय पार्थ चटर्जी ने इनमें से तीन नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि जो नेता आज बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं उनमें से सुजन चक्रवर्ती, दिलीप घोष और शुभेंदु अधिकारी ने मुझे उन लोगों की सूची दी थी जिन्हें गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया जाना था लेकिन मैंने गैरकानूनी काम करने से इनकार कर दिया था।
वैसे तो तृणमूल में कुणाल और पार्थ के बीच तालमेल बहुत अच्छा नहीं रहता था लेकिन जेल में बंद पार्थ चटर्जी से पहले उन्हीं के जैसा दावा कुणाल के ट्विटर अकाउंट पर किए जाने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्थ ने कोर्ट में प्रवेश करने के समय कहा कि वर्ष 2009-10 की सीएजी की रिपोर्ट देखिए। मैंने ऐसे सभी लोगों को कह दिया था कि मैं नियुक्ति नहीं कर सकता, मेरे अधिकार में नहीं है। मैंने साफ कर दिया था कि इस बारे में मदद करना तो दूर की बात, किसी तरह की गैरकानूनी काम के लिए मैं कभी तैयार नहीं होऊँगा। शुभेंदु अधिकारी का वर्ष 2011-12 का साल देखिए। क्या-क्या किया है। इसके बाद पार्थ चटर्जी कोर्ट के अंदर चले गए थे।
विपक्ष का जवाब
हालांकि चटर्जी के इन आरोपों पर इन नेताओं ने सफाई दी है। दिलीप घोष ने पलटवार करते हुए कहा है कि जेल में रहकर पार्थ चटर्जी का दिमाग खराब हो गया है। जिस समय की बात वह कर रहे हैं उस समय मैं राजनीति में ही नहीं आया था। इस तरह की साजिश रच कर कोई लाभ नहीं होगा। कोई भी आरोप साबित हो गया तो जेल जाने को तैयार हूं लेकिन पार्थ चटर्जी तो अपनी प्रेमिका के साथ जेल की हवा खा रहे हैं, रुपये का पहाड़ मिला है।
सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘किसी का अगर दिमाग विक्षिप्त हो जाता है तो बहुत उल-जुलूल बातें करता है। पार्थ चटर्जी का दिमाग का सर्किट खराब हो गया है। वह वर्ष 2009-10 की बात कर रहे हैं। उस समय पार्थ कहां थे। उस समय तो सरकार में उनकी कोई हैसियत ही नहीं थी। माकपा का शासन था तब हमलोग क्यों उनको कोई सूची देने जाएंगे। जाहिर सी बात है उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा है। हालांकि इसकी बहुत खास वजह है। अनुब्रत मंडल के साथ तृणमूल कांग्रेस खड़ी है लेकिन पार्थ को हर किसी ने छोड़ दिया है। शुभेंदु अधिकारी उस समय तृणमूल कांग्रेस में थे। मैं तो चुनौती दे रहा हूं कि वाममोर्चा के शासन में इस तरह से रुपये का कोई खेल हुआ हो तो कोई ढूंढ कर बता दे।’