पटना : चैती छठ महापर्व के दूसरे दिन रविवार को खरना पूजा के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। सोमवार को चैत्र शुक्ल षष्ठी में अस्ताचलगामी सूर्य को संध्याकाल में अर्घ्य दिया जाएगा।
मंगलवार को मृगशिरा नक्षत्र में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर महाव्रत का समापन होगा। सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को संध्याकाल में शाम 6:05 बजे तक पहला अर्घ्य दिया जाएगा। मंगलवार को प्रातः 5:55 बजे के बाद अर्घ्य देकर व्रती महाव्रत का समापन करेगी।
ऋग्वैदिक काल से छठ महापर्व की परंपरा
पंडित जलंधर झा ने बताया कि सोमवार को चैत्र शुक्ल षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस बार छठ महापर्व ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनाई जा रही है। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय से मुक्ति मिलती है।
उन्होंने बताया कि छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है। इस महापर्व में सूप, डाला, ईख के साथ ऋतुफल का विशेष रूप से महत्व होता है। सूर्य उपासना के महापर्व में भगवान भास्कर को पीतल के पात्र से दूध तथा तांबे के पात्र के जल से अर्घ्य देने का विधान है। चैती छठ नवरात्र के 6वें दिन मनाया जाता है।