5वें दिन कुर्मी समुदाय ने वापस लिया आंदोलन

पुरुलिया : आदिवासी कुर्मी समुदाय ने प्रशासन के दबाव के आगे घुटने टेक दिए। पांच दिनों के बाद अवरोध हटा लिया गया। पिछले दो दिनों से प्रशासन तरह-तरह से प्रदर्शनकारियों पर दबाव बना रहा था। रविवार की सुबह हुई बैठक में प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर अवरोध नहीं हटाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद उस बैठक में कुर्मी समुदाय ने आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी थी। हालांकि, इसके कुछ देर बाद ही उनका मन बदल गया और आंदोलन वापस ले लिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि त्यौहारों के मौसम में ट्रेन-राष्ट्रीय सड़कों को लगातार अवरुद्ध करके आंदोलनकारी अलग-थलग होते जा रहे थे। साथ ही प्रशासन का भी दबाव था जिसकी वजह से आन्दोलन वापस लिया गया है।

सरना धर्म को मान्यता देने और अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से कुर्मी समुदाय ने पुरुलिया, खड़गपुर के खेमाशुली स्टेशन और राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया था। कुर्मी समुदाय को राज्य द्वारा केंद्र को भेजी गई सीआरआई रिपोर्ट पर टिप्पणी-औचित्य पसंद नहीं आया बल्कि उनमें से कुछ ने दावा किया कि कुर्मी भौगोलिक रूप से अलग-थलग हैं। उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने का डर सता रहा है। इस बात को रिपोर्ट में लिखा जाए। लेकिन प्रशासन का दावा है कि बंगाल में हालात ऐसे बिल्कुल नहीं हैं। नतीजा यह हुआ कि पिछले कुछ दिनों से कई बैठकें करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला है।

बताया गया है कि आंदोलनकारियों की इस महीने की दस तारीख को कोलकाता में मुख्य सचिव के साथ बैठक होगी। लेकिन उस प्रस्ताव को स्वदेशी कुर्मी समुदाय ने खारिज कर दिया था। अंत में प्रशासनिक दबाव झेलने में असमर्थ नाकाबंदी वापस ले ली गई।

लेकिन आदिवासी कुर्मी समाज के मुख्य मंता (प्रमुख नेता) अजीतप्रसाद महतो ने कहा कि प्रशासन हम पर बहुत दबाव बना रहा था। प्रशासन ने कहा कि मुख्य सचिव सोमवार दस अप्रैल को कोलकाता में उनसे मुलाकात करेंगे। हालांकि, आदिवासियों को सूचीबद्ध करने की मांग को लेकर हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *