राष्ट्रीय पार्टी का तमगा खो चुकी तृणमूल के पास नहीं बचे हैं कानूनी विकल्प

कोलकाता : चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को एक दिन पहले ही राष्ट्रीय पार्टियों की सूची से हटाकर क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर घोषित कर दिया है। इसके बाद पार्टी के वयोवृद्ध सांसद सौगत रॉय ने रात को ही कहा था कि पार्टी इसके लिए कानूनी विकल्प तलाश रही है। हालांकि मंगलवार को उनका सुर बदल गया है। जब उनसे संपर्क किया गया और इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है कि कानूनी कदम उठाया जाएगा या नहीं, यह आने वाले वक्त में तय होगा।

दरअसल, नियमानुसार राष्ट्रीय पार्टी का तमगा 10 साल के लिए रहता है। अब जबकि यह तृणमूल कांग्रेस से छीन लिया गया है तो कम से कम दो लोकसभा चुनाव में पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के बजाय क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर ही चुनाव लड़ेगी। बहरहाल, वर्ष 2016 में चुनाव आयोग की ओर से बदले गए नियम के अनुसार पहले केवल पांच साल में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों की घोषणा होती थी जो अब 10 साल में होती है। तृणमूल कांग्रेस इसे लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में थी कि जब 2016 में उसे राष्ट्रीय पार्टी का तमगा मिला तो केवल सात साल के भीतर 2023 में उसे वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन चुनाव आयोग की ओर से तृणमूल कांग्रेस को लेकर जो अधिसूचना जारी की गई है उसी में पार्टी के सारे कानूनी विकल्प बंद कर दिए गए हैं। इसमें स्पष्ट कर दिया गया है कि वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में सरकार बनाई थी। उसके बाद वर्ष 2012 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन बेहतर रहा था। इसके पहले वर्ष 2009 में अरुणाचल विधानसभा चुनाव में भी 6 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल किए थे और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस को त्रिपुरा में 6 फ़ीसदी से अधिक वोट मिले थे, इसीलिए उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा 2014 में मिल गया था। नियमानुसार 1 जनवरी 2023 को 10 साल पूरे हो गए हैं, इसलिए अब उस क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठने की वजह से तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया गया है। इसीलिए कानूनी जानकारों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस के पास अब कानूनी विकल्प नहीं बचे हैं। वैसे सौगत रॉय का कहना है कि किसी भी पार्टी के पास सुप्रीम कोर्ट जाने के रास्ते हमेशा खुले रहते हैं लेकिन किन बिंदुओं पर पार्टी कोर्ट जाएगी, यह फिलहाल तय नहीं हो पा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *