कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति मामले में गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे व पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ की अनुमति सीबीआई और ईडी को दी है। यह पहली बार है जब अभिषेक बनर्जी का नाम इस मामले में सीधे तौर पर आया है। न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने आदेश दिया है कि भ्रष्टाचार के सिलसिले में गिरफ्तार तृणमूल युवा के नेता कुंतल घोष की ओर से केंद्रीय जांच एजेंसी के खिलाफ लिखे पत्र को लेकर ईडी और सीबीआई की टीमें अभिषेक और कुंतल से पूछताछ कर सकती हैं।
दरअसल, गत छह अप्रैल को अलीपुर कोर्ट में पेशी के समय कुंतल घोष ने दावा किया था कि केंद्रीय एजेंसियां उस पर नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव बना रही हैं। उसके पहले कुंतल ने प्रेसीडेंसी जेल अधीक्षक के जरिए एक पत्र हेस्टिंग्स थाने को और उसी की प्रति अलीपुर कोर्ट के जज को भी भेजा था। उसी आधार पर हेस्टिंग्स थाने में केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई थी।
इसी प्राथमिकी के खिलाफ हाईकोर्ट में लगी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने कहा कि राज्य के किसी भी थाने में किसी भी केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी के खिलाफ कोई भी प्राथमिकी बिना न्यायालय की अनुमति दर्ज नहीं की जाएगी। जो प्राथमिकी दर्ज है उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं होगी। न्यायमूर्ति ने कहा कि अभिषेक बनर्जी ने 29 मार्च को शहीद मीनार मैदान में जनसभा की।
उन्होंने दावा किया कि इसके पहले सारदा मामले में गिरफ्तार किए गए कुणाल घोष और मदन मित्रा पर भी उनका नाम लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों ने दबाव बनाया था। उसके ठीक बाद अगले दिन कुंतल घोष को कोर्ट में पेश किया गया था। उस दिन उसने वही दावा किया जो अभिषेक ने अपनी जनसभा में कही थी। उसके बाद उसने डिस्ट्रिक्ट जज और थाने को जेल अधीक्षक के जरिए पत्र भेजा और फिर छह अप्रैल को पेशी के समय उसी तरह का दावा किया। यह अपने आप में संदिग्ध है। इसलिए केंद्रीय एजेंसी इस मामले में कुंतल और अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकती है।
कोर्ट में सुनवाई के समय ईडी के अधिवक्ता फिरोज इडूलजी ने यह भी बताया कि 20 जनवरी को कुंतल के घर छापेमारी के बाद 21 जनवरी को उसे गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर वह ईडी हिरासत में था। चौबीसों घंटे उसकी सीसीटीवी से निगरानी होती थी और कोर्ट के आदेश पर हर 48 घंटे पर उसकी चिकित्सकीय जांच होती थी। तब उसे कई बार बैंकशाल कोर्ट में पेश किया गया लेकिन उसने कभी भी इस तरह के आरोप नहीं लगाए। प्रेसीडेंसी जेल में शिफ्ट होने के बाद अभिषेक ने केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव बनाने और बदनाम करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाये।
जेल प्रबंधन की भूमिका को भी संदिग्ध बताते हुए न्यायमूर्ति ने कहा कि 21 मार्च से छह अप्रैल तक प्रेसीडेंसी जेल में प्रवेश और निकास के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखना होगा। अगली सुनवाई में कोर्ट में पेश करना होगा। इसके अलावा उन्होंने जेल अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि जेल के विजिटर्स बुक की मूल प्रति अदालत में जमा करानी होगी, ताकि यह पता चल सके कि उस अवधि के दौरान जेल में कौन-कौन आया है। किसी ने कुंतल घोष पर इस तरह का बयान देने के लिए दबाव बनाया है या नहीं, इसकी पूरी जांच होगी। इस मामले में केंद्रीय एजेंसियां हर तरह से पूछताछ के लिए स्वतंत्र हैं।