देश-दुनिया के इतिहास में 27 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इसी तारीख को 2005 में दुनिया के सबसे बड़े हवाई जहाज (एयरबस ए-380) ने पहली उड़ान भरी। तब से अब तक यह जहाज 19 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचा चुका है। इस विमान में 469 यात्री एक साथ सफर कर सकते हैं। इस एयरबस के मुताबिक यदि सभी सीटें इकोनॉमी क्लास की हों तो इसमें 853 लोग एक साथ सफर कर सकते हैं।
ए-380 ने अपनी पहली उड़ान टुलुज (फ्रांस) के ब्लैग्नेक हवाई अड्डे से स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर भरी थी। पायलट क्लाउड लैली और जैक्स रोसे ने विमान को उड़ाया। इनके साथ क्रू में चार अन्य सदस्य थे। तीन घंटे 54 मिनट की उड़ान के बाद विमान को उसी एयरपोर्ट पर सफलतापूर्वक लैंड कराया गया। इस सफल उड़ान के बाद 25 अक्टूबर 2007 को सिंगापुर एयरलाइंस ने पहली बार यात्री विमान के तौर पर ए-380 का इस्तेमाल किया। ए-380 विमान सिंगापुर से सिडनी के लिए रवाना हुआ। इसे फ्लाइट नंबर एसक्यू 380 नाम दिया गया।
शुरू में ए-380 के आकार और इससे भारतीय विमान कंपनियों को होने वाले नुकसान को देखते हुए इसे भारत में संचालन की इजाजत नहीं दी गई।2014 में केंद्र सरकार ने देश के चार बड़े एयरपोर्ट पर ए-380 को उतारने और उड़ान भरने की इजाजत दी। ये एयरपोर्ट थे- दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद। इसके बाद पहली बार 30 मई 2014 को दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के टर्मिनल तीन पर ए-380 की पहली लैंडिंग हुई।
एयरबस ने 14 फरवरी 2019 को घोषणा की कि वह 2021 से दुनिया के सबसे बड़े विमान एयरबस A-380 का उत्पादन बंद करेगी। इसके पीछे विमान की कीमत और एयरलाइन का इससे मोहभंग होना माना जाता है। A-380 के एक विमान की कीमत तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। दुबई की एयरलाइन एमिरेट्स ने इस एयरबस के 162 नए विमानों के ऑर्डर को कम कर 123 कर दिया था। दूसरी एयरलाइंस ने भी A-380 का इस्तेमाल न करने की घोषणा की थी। कंपनी को इस कटौती से बड़ा झटका लगा।