देश-दुनिया के इतिहास में 27 जून की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व बैंक एटीएम के इतिहास में खास है। दरअसल 27 जून, 1967 को दुनिया की पहली मशीन लंदन के इनफील्ड में बार्कलेज बैंक में लगाई गई थी। इस मशीन से सबसे पहले ब्रिटिश कॉमेडी एक्टर रेग वार्ने ने पैसे निकाले। तब इस मशीन से एक बार में अधिकतम 10 पाउंड (करीब 180 रुपये) ही निकलते थे। इस मशीन का निर्माण बैंकनोट बनाने वाली एक कंपनी में काम करने वाले जॉन शेफर्ड बैरन ने किया था।
इसकी वजह यह थी कि जॉन शेफर्ड बैरन को चेक से पैसे निकालने के लिए बैंक में लगी लंबी लाइन बहुत परेशान करती थी। कभी-कभी तो बारी भी नहीं आती। उन्होंने चॉकलेट वेंडिंग मशीन की तरह एटीएम का निर्माण करने का फैसला किया। उन्होंने चॉकलेट वेंडिंग मशीन की तरह ही मशीन बनाई जिसमें छह अंकों का एक पिन एंटर करना होता था। दरअसल बैरन आर्मी में रहे थे और उन्होंने अपनी आर्मी के रजिस्ट्रेशन नंबर को ही पिन बनाया। उनकी पत्नी ने कहा कि वो छह अंकों का पिन याद नहीं रख सकतीं। इसलिए बाद में पिन को बदलकर चार अंकों का किया गया।
हालांकि अभी की तरह उस मशीन में कार्ड का इस्तेमाल नहीं होता था। मशीन में चेक से पैसे निकाले जाते थे। इन चेक पर एक रेडियो एक्टिव पदार्थ लगा होता था जिसे मशीन पढ़ लेती थी। चेक लगाने के बाद पिन एंटर करना होता था। उन्होंने इस तरह की छह मशीनें बनाईं और इन्हें अलग-अलग जगहों पर लगाया गया। बैरन ने इस तरह की 50 मशीन और बनाईं। इन्हें लंदन में ही अलग-अलग जगहों पर लगाया गया। धीरे-धीरे इनका चलन बढ़ने लगा और लोग टाइम की बचत की वजह से इनका इस्तेमाल ज्यादा करने लगे।
हालांकि 60 के दशक में इस तरह की मशीन बनाने में दुनिया भर के लोग जुटे हुए थे। साल 1966 में जेम्स गुडफैलो ने एटीएम टेक्नोलॉजी के लिए पहला पेटेंट करवाया। इसमें चेक की जगह प्लास्टिक कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था, जो आज प्रचलन में है। जॉन शेफर्ड बैरन ने इस पूरी टेक्नोलॉजी का पेटेंट नहीं करवाया था। उनका मानना था कि अगर वह पेटेंट करवाएंगे तो इस टेक्नोलॉजी का हैकर गलत फायदा उठा सकते हैं। इसी वजह से एटीएम का आविष्कारक कौन है, इसको लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं। साल 1977 में सिटी बैंक ने न्यूयॉर्क में एटीएम लगाने के लिए 100 मिलियन डॉलर खर्च किए। सिटी बैंक को भारत में भी एटीएम को बढ़ावा देने का श्रेय जाता है।