इतिहास के पन्नों में 04 जुलाईः प्रो.पीटर हिग्स का ‘गॉड पार्टिकल’ सिंद्धांत सच साबित हुआ

देश-दुनिया के इतिहास में 04 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। साल 2012 की यह तारीख भौतिक विज्ञान के लिए बेहद खास है। दरअसल वैज्ञानिकों ने स्विटजरलैंड में गॉड पार्टिकल (ईश्वरीय कण अर्थात हिग्स बोसॉन कण) का पता लगाने में मिली सफलता की घोषणा कर दुनिया भर को चौंका दिया था। जिनेवा में यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उन्होंने गॉड पार्टिकल के वजूद के ठोस संकेत हासिल किए हैं। हालांकि यह खोज प्रारंभिक है।

इस घोषणा से पहले गॉड पार्टिकल की इस अवधारणा को प्रयोग के जरिए साबित नहीं किया जा सका था। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि कणों में भार क्यों होता है। इससे पहले तक गॉड पार्टिकल को भौतिक विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली माना जाता रहा है।

इस घोषणा के बाद लीवरपूल यूनिवर्सिटी में पार्टिकल फिजिक्स पढ़ाने वालीं तारा सियर्स ने कहा था- गॉड पार्टिकल को भार मिलता है। यह सुनने में बिल्कुल सामान्य लगता है। अगर कणों में भार नहीं होता तो तारे नहीं बन सकते थे। आकाशगंगा नहीं होंतीं। परमाणु भी नहीं होते। ब्राह्रांड कुछ और ही होता। दरअसल हिग्स सिद्धांत का प्रतिपादन 1960 के दशक में प्रो. पीटर हिग्स ने किया था। हिग्स भी जिनेवा के कार्यक्रम में आमंत्रित थे। उन्होंने इस घोषणा पर कहा था -चार दशक पहले इस पर काम करते हुए उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा यह उनके जीवनकाल में संभव हो पाएगा।

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