– नीला नहीं, सफेद चमक के साथ बड़ा और चमकदार दिखेगा सुपर ब्लूमून
भोपाल/कोलकाता : खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए बुधवार, 30 अगस्त का दिन बेहद खास होने जा रहा है। इस दिन रक्षाबंधन के मौके पर आसमान में ब्लू सुपरमून नजर आने वाला है। ब्लूमून नाम से दिखने जा रहे इस सुपरमून की चमक जहां आम पूर्णिमा की तुलना में अधिक होगी, वहीं उसका आकार भी कुछ बड़ा दिखेगा। यह जानकारी मंगलवार को भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी।
उन्होंने बताया कि बुधवार को हमसे लगभग 3 लाख 57 हजार 181 किलोमीटर दूर रहकर चांद पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए निकट बिंदु पर होगा। इस कारण वह माइक्रोमून की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखेगा।
सारिका ने बताया कि दो पूर्णिमा के बीच 29.5 दिन का अंतर होता है और अगर पहली पूर्णिमा महीने की 1 या 2 तारीख को आती है तो दूसरी पूर्णिमा भी उस ही माह आ जाती है। एक ही अंग्रेजी कैलेंडर माह में दो पूर्णिमा आने पर दूसरी पूर्णिमा के चंद्रमा को मंथली ब्लूमून नाम दिया गया है। एक अगस्त को पूर्णिमा के बाद बुधवार, 30 अगस्त को दूसरी पूर्णिमा है।
उन्होंने बताया कि ब्लूमून का दूसरा प्रकार सीजनल ब्लूमून होता है। अगर तीन महीने के किसी खगोलीय सीजन में चार पूर्णिमा आती है, तो तीसरी पूर्णिमा का चांद सीजनल ब्लूमून कहलाता है। सीजनल ब्लूमून कम बार आता है। एक अनुसंधान के अनुसार 1100 सालों में 408 सीजनल ब्लूमून तथा 456 मंथली ब्लूमून की घटना की गणना की गई है। अगला ब्लूमून 2024 में 19 अगस्त को होगा और यह सीजनल ब्लूमून होगा।
सारिका ने बताया कि यह सुपरब्लूमून नीला नहीं दिखेगा, बल्कि पूर्णिमा के चांद की तरह ही चमक रहा होगा। दुर्लभ वस्तुओं या घटनाओं के नाम के आगे ब्लू लगा दिया जाता है। अत: मान्यता के अनुसार कुछ लोगों ने इसे ब्लूमून नाम दिया है।
उन्होंने बताया कि नीले नहीं सफेद चमक के साथ दिखने जा रहे ब्लूमून नाम के सुपरमून की चमक को रक्षाबंधन बनाते हुए आसमान में देखने का लुफ्त उठा सकते हैं। इसे तिरंगामून नाम भी दे सकते हैं, क्योंकि इस चांद के शिवशक्ति पाइंट के आसपास हमारे तिरंगे के साथ प्रज्ञान रोवर भी चहलकदमी कर रहा है।