कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉक्टर सी. वी. आनंद बोस ने भी राज्य सरकार से बराबर तकरार के संकेत दिए हैं। गुरुवार को अपने एक वीडियो संदेश में उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएंगे और विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार तथा हिंसा मुक्त रखने के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। राज्यपाल होने के नाते वह राज्य भर के सभी विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति हैं। इस नाते उन्होंने कहा है कि यह उनका कर्तव्य है कि विश्वविद्यालयों में किसी भी तरह की अव्यवस्था को दुरुस्त करें।
उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब राज्यपाल द्वारा कुछ राज्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच जुबानी जंग चल रही है।
राज्यपाल बोस ने कहा, “मैं चाहता हूं कि राज्य के विश्वविद्यालय हिंसा से मुक्त हों और भारत में सर्वश्रेष्ठ हों।”
उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र और स्वामी विवेकानन्द का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे महापुरुषों के बंगाल में निश्चित तौर पर शिक्षा व्यवस्था भ्रष्टाचार और हिंसा से मुक्त होनी चाहिए।
अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति के राजभवन के हालिया कदम के बारे में बोलते हुए, बोस ने कहा, “मैंने उन्हें नियुक्त किया है क्योंकि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार द्वारा पहले की गई कुछ नियुक्तियों के खिलाफ फैसला सुनाया था।”
उन्होंने दावा किया, ”पहले नियुक्त किए गए कुछ कुलपतियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, यौन उत्पीड़न और राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप थे…इस्तीफा देने वाले पांच कुलपतियों ने मुझे विश्वास के साथ बताया कि उन्हें धमकियां मिलीं।”
बोस ने कहा कि बंगाल की अगली पीढ़ी राज्य की सबसे बड़ी संपत्ति है। उनके भविष्य से किसी भी तरह का खिलवाड़ अथवा संकट को मैं नजरअंदाज नहीं कर सकता। इसलिए कुलाधिपति के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन हर बाधा का सामना करते हुए करता जाऊंगा।