इतिहास के पन्नों में 08 सितम्बरः साक्षरता का वैश्विक पर्व

साक्षरता के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में शिक्षा के प्रसार के लक्ष्य को ध्यान में रख कर यह दिवस मनाया जाता है। साक्षरता से शुरुआत कर शिक्षा प्राप्ति तक की यात्रा, किसी भी व्यक्ति, समाज और देश के विकास के लिए बुनियादी जरूरत है।

भारत में भी इस दिवस को काफी महत्वपूर्ण आयोजन के तौर पर मनाया जाता है। सर्वशिक्षा अभियान के रूप में भारत साक्षरता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक भारत की साक्षरता दर 2011 में 73 फीसदी थी जो 10 साल बाद करीब 5 फीसदी बढ़ कर 2022 में भारत की साक्षरता दर 77.7 फीसदी दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य में केरल (92.62 फीसदी) और साक्षरता के मामले में सबसे पिछड़े राज्य में आंध्र प्रदेश (66.4 फीसदी) शामिल है। देश की राजधानी दिल्ली की साक्षरता दर 86.2 फीसदी है।

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26 अक्टूबर 1966 को 14वें यूनेस्को आम सम्मेलन में 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का फैसला लिया गया। एक साल बाद 8 सितंबर 1967 को इसे पहली बार मनाया गया। हर साल इस आयोजन का एक आधार वाक्य (थीम) होता है। इस साल अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम है- परिवर्तनशील दुनिया में साक्षरता को बढ़ावा देनाः स्थायी व शांतिपूर्ण समाज की नींव का निर्माण करना।

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