इतिहास के पन्नों में 16 सितंबरः बहुत जरूरी है ओजोन परत को बचाना

देश-दुनिया के इतिहास में 16 सितंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख मानव जीवन की रक्षा के प्रयासों के लिए भी विश्व ओजोन दिवस के रूप में भी खास है। समय-समय पर आप ओजोन परत को लेकर बातें सुनते रहते हैं। इसे सुरक्षित रखना है।

ओजोन परत पिघल रही है आदि-आदि। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई कदम भी उठाए जाते हैं। हर साल 15 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। ओजोन परत की कैसे सुरक्षा की जा सकती है। जितना जरूरी मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन है, उतनी ही ओजोन परत भी।

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इसलिए समय-समय पर वैज्ञानिक इस परत को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं। 19 दिसंबर, 1964 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन परत के संरक्षण के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस मनाने की घोषणा की थी।संयुक्त राष्ट्र और 45 अन्य देशों ने ओजोन परत को खत्म करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर 16 सितंबर 1987 को हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद पहली बार 16 सितंबर, 1995 को विश्व ओजोन दिवस मनाया गया था। साल 2021 में इसकी थीम ‘मॉन्ट्रियन प्रोटोकॉल’ थी। इसे 197 देशों ने अपनी मंजूरी दी।

दरअसल, ओजोन परत ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली गैस है और ये पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है, जो सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से हमें (मानव जाति) बचाने का काम करती है। फ्रांस के भौतिकविद् फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने 1913 में इस परत की खोज की थी। इसे इस तरह समझा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप हम घर पर एसी और फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं। इनसे जो गैस निकलती है वह ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है। प्राकृतिक कारकों में सौर क्रिया, वायुमंडलीय संरचरण, पृथ्वी के रचनात्मक प्लेट किनारों से निकलने वाली गैस, नाइट्रस ऑक्साइड, प्राकृतिक क्लोरीन और केंद्रीय ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाली गैसों से भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है।

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