इतिहास के पन्नों में 30 सितम्बरः माधवराव सिंधिया की आखिरी उड़ान

देश-दुनिया के इतिहास में 30 सितंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख ग्वालियर के सिंधिया राजपरिवार के लिए बड़े सदमे के रूप में दर्ज है। किस्सा यह है कि 30 सितंबर, 2001 को कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में सभा को संबोधित करना था। रास्ते में भैंसरोली के पास उनका सेसना सी-90 एयर क्राफ्ट क्रैश हो गया। इस हादसे में सिंधिया समेत सभी लोगों की मौत हो गई थी।

खास बात यह है कि उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनका पार्थिव शरीर लाने के लिए विशेष विमान भेजा। यह भी महत्वपूर्ण है कि सिंधिया ने 1984 में वाजपेयी को ग्वालियर में लोकसभा चुनाव में शिकस्त दी थी। ग्वालियर के सिंधिया राजवंश में माधवराव का जन्म 10 मार्च, 1945 को हुआ था। शुरुआती पढ़ाई सिंधिया स्कूल से और फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने हायर स्टडीज की। सिंधिया उस समय कांग्रेस में शामिल हुए थे, जब इंदिरा गांधी ने सत्ता गंवा दी थी। उन्हें सबसे सफल रेलमंत्रियों में से एक माना जाता है। उनके कार्यकाल में ही शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई गई थीं।

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नरसिम्हा राव की कैबिनेट में बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद हवाला कांड की वजह से 1996 में सिंधिया को टिकट नहीं दिया गया तो उन्होंने मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बना ली। सीताराम केसरी के कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही वे पार्टी में लौट आए। साल 1999 में जब सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठा तो सिंधिया को कांग्रेस में प्रधानमंत्री पद का तगड़ा दावेदार समझा जाता था। सिंधिया लोकसभा में डिप्टी फ्लोर लीडर थे और उन्हें कांग्रेस प्रेसिडेंट और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी का विश्वासपात्र समझा जाता था। 1971 से 1999 तक वे सांसद रहे। फर्राटेदार हिंदी और अंग्रेजी बोलने वाले ग्वालियर के पूर्व श्रीमंत सिंधिया की जमीनी पकड़ बेहद मजबूत थी। एक और खास बात यह है कि वे हमेशा खेलों से जुड़े रहे। मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे।

यह तारीख लातूर त्रासदी के रूप में याद की जाती है। तारीखः30 सितंबर 1993। समयः सुबह के 3 बजकर 56 मिनट। जगहः महाराष्ट्र का लातूर जिला। लोग अपने घरों में सो रहे थे। तभी तेजी से धरती कांपी और लगातार 40 सेकंड तक कांपती रही। 6.4 तीव्रता के इस भूकंप ने पूरे लातूर को उजाड़ दिया। हजारों लोग नींद से उठ ही नहीं पाए। इस भयानक त्रासदी में 20,000 लोगों की मौत हुई थी।

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