इतिहास के पन्नों से 13 अक्टूबर: ‘कभी अलविदा ना कहना’

बॉलीवुड के सदाबहार गायक किशोर कुमार का 13 अक्टूबर, 1987 को हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया था। 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्मे किशोर कुमार के बचपन का नाम आभास कुमार गांगुली था। फिल्म इंडस्ट्रीज में आने के बाद उन्होंने अपना नाम किशोर कुमार रख लिया।

किशोर कुमार ने अपने करियर की शुरुआत स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज से बतौर कोरस सिंगर की थी। 1946 में उन्होंने बतौर अभिनेता फिल्म ‘शिकारी’ से बड़े परदे पर एंट्री ली। इस फिल्म में उनके बड़े भाई किशोर कुमार मुख्य रोल में थे। 1948 में फिल्म ‘जिद्दी’ के लिए उन्होंने ‘मरने की दुआएं क्यों मांगूं’ सॉन्ग से फिल्मी गायन का सफर शुरू किया।

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फिल्मों के लिए गाए उनके गाने आज भी मील का पत्थर हैं जिनके आसपास भी कोई दूसरा गायक नहीं पहुंच पाया है। ‘रूप तेरा मस्ताना’ (आराधना, 1969), ‘खइके पान बनारस वाला’ (डॉन, 1978), ‘पग घुंघरू बांध’ (नमक हलाल, 1982), ‘दे दे प्यार दे’ (शराबी, 1984) जैसे उनके कई गाने आज भी झूमने पर मजबूर कर देते हैं। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1987 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 2700 से अधिक गाने गाए। उन्होंने हिन्दी के साथ बांग्ला, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं के लिए करीब 700 गाने गाए। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया।

किशोर कुमार ने 81 फिल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। ‘बाप रे बाप'(1955), ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958), ‘नॉटी ब्वॉय’ (1962) और ‘पड़ोसन’ (1964) जैसी कई फिल्मों में उनकी अदाकारी ने सिनेप्रेमियों का खूब मनोरंजन किया।

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