कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना ”स्वास्थ्य साथी” को लेकर आए दिन नकारात्मक खबरें सामने आ रही हैं। कभी किसी अस्पताल में स्वास्थ्य साथी कार्ड को स्वीकार न करने की बात सामने आती है तो कभी इस योजना के तहत किए गए इलाज के खर्चे का भुगतान नहीं कर पाने की। अभी हाल ही में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य साथी कार्ड को अस्वीकार करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का रुख अख्तियार किया था लेकिन अब अस्पताल भी इस योजना को लेकर राज्य सरकार को घेरने में लगे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के फूलेश्वर स्थित एक निजी अस्पताल ने राज्य सरकार पर इस योजना के तहत बकाया 59 करोड़ रुपये का भुगतान न करने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले सात निजी अस्पतालों ने भी इसी तरह की पीआईएल हाई कोर्ट में दाखिल कर चुके हैं।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कुल 130 करोड़ रुपये का बिल बना, जिसमें से 59 करोड़ रुपये का राज्य सरकार की तरफ से अब तक भुगतान नहीं किया गया है। अब सरकार इससे इनकार कर रही है। बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन को कहा गया था कि वह सिर्फ राज्य सरकार की तरफ से भेजे जाने वाले कोरोना मरीजों को ही भर्ती करें। साथ मरीजों से इलाज के रुपये नहीं लेने का निर्देश दिया गया था। इनका भुगतान सरकार ने करने को कहा था।
दरअसल, 300 बेड की क्षमता वाले इस निजी अस्पताल को राज्य सरकार ने पिछले साल 31 मार्च को अधिग्रहित किया था। बाद में कोरोना के ज्यादा से ज्यादा मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में बेड की संख्या और 200 बढ़ाई गई थी। इससे पहले हावडा़ के ही उलबेरिया इलाके में स्थित संजीवन अस्पताल ने भी ममता सरकार पर 64 करोड़ रुपये के बकाए को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
अस्पताल प्रबंधन का आरोप है कि ”स्वास्थ्य साथी” योजना के तहत कोरोना के मरीजों का इलाज करने को लेकर उसके राज्य सरकार पर 64 करोड़ रुपये बकाया हैं। इस योजना के तहत अस्पताल में करीब छह हजार कोरोना के मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें से अधिकांश के इलाज का खर्च का राज्य सरकार की ओर से अब तक भुगतान नहीं किया गया है।