इतिहास के पन्नों में 20 नवंबरः रेड-ग्रीन के बीच येलो सिग्नल की यह है कहानी

देश-दुनिया के इतिहास में 20 नवंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख दुनिया में ऑटोमेटेड ट्रैफिक सिग्नल के लिए भी खास है। दरअसल 20 नवंबर, 1923 को अमेरिकी पेटेंट ऑफिस ने 46 साल के गैरेट मोर्गन को ऑटोमेटेड ट्रैफिक सिग्नल के लिए पेटेंट नंबर दिया था।

इसका मतलब यह नहीं कि ट्रैफिक सिग्नल का अविष्कार मोर्गन ने किया। बल्कि उन्होंने स्टॉप और गो के बीच एक तीसरा विकल्प जोड़ा था। यह था जो ड्राइवर को गाड़ी बंद और शुरू करने से पहले सतर्क कर सके। यही विकल्प आगे जाकर यलो लाइट में तब्दील हुआ।

मोर्गन का जन्म अमेरिका के केंटकी में 1877 में हुआ था। 14 साल की उम्र में वह जॉब की तलाश में ओहियो चला गया। इधर-उधर काम करने के बाद मोर्गन ने 1907 में अपनी रिपेयर शॉप खोली। 1920 में मोर्गन ने ‘द क्लीवलैंड कॉल’ अखबार निकालना शुरू किया। उस समय ओहियो में काफी ट्रैफिक हुआ करता था।

ट्रैफिक सिग्नल भी स्टॉप और गो कमांड पर स्विच होते थे। इससे ड्राइवरों को सिग्नल चालू और बंद होने का संकेत नहीं मिलता था और हादसे की स्थिति बनती थी। मोर्गन ने एक बार सिग्नल पर एक्सीडेंट होते देखा तो उनके दिमाग में सतर्क करने वाले इस तरह के सिग्नल का आइडिया आया। इसका काम स्टॉप और गो के पहले चेतावनी देना था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *