दलबदल विरोधी कानून के तहत पहली बार 23 नवंबर 1988 को लोकसभा सांसद लालदूहोमा को अयोग्य करार दिया गया। हालांकि यह कानून 1985 में संसद में पास हुआ था। इसके लिए संविधान में 52वें संशोधन के जरिए 10वीं अनुसूची को शामिल किया गया।
इसमें प्रावधान है कि यदि कोई सदस्य अपनी पार्टी से इस्तीफा देता है या पार्टी व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है। लेकिन यदि उसे पार्टी निकालती है तो असंबद्ध सदस्य के तौर पर उसकी सदस्यता बनी रहती है।
लालदूहोमा इस समय भी काफी सुर्खियों में हैं। नवंबर के पहले सप्ताह में संपन्न हुए मिजोरम विधानसभा चुनाव में लालदुहोमा के नेतृत्व वाली जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जेडएनपी) युवाओं में काफी लोकप्रिय है। लालदुहोमा को मिजोरम का संभावित मुख्यमंत्री बताया जा है।