पटना : उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और वित्त मंत्री विजय चौधरी ने गुरुवार को संयुक्त पत्रकार वार्ता में कहा कि बिहार जाति गणना सर्वे से स्पष्ट हुआ है कि राज्य में 34.1 प्रतिशत गरीब है। ऐसे में अभियान चलाकर ऐसे परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने की जरूरत है। इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं।
मंत्री द्वय ने कहा कि हमारी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग है। पिछले 13 वर्षों से मुख्यमंत्री की यह मांग रही है। बिहार ने हमेशा देश को दिशा दिखाने का काम किया है। हमारी हमेशा से यही मांग थी कि देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए। सभी दलों के नेताओं ने पीएम मोदी से मुलाकात की लेकिन वहां कोई बात नहीं बन पाई। इसलिए हमने तय किया कि राज्य सरकार इसे अपने दम पर करेगी। पिछले विधानसभा सत्र के दौरान हमने पूरी रिपोर्ट सबके सामने रखी थी। यह सभी स्थितियों को निर्दिष्ट करता है, चाहे वे सामाजिक हों या आर्थिक। केवल बिहार ही ऐसा राज्य है, जिसके पास अपनी जनसंख्या के बारे में सारी जानकारी है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हालात बदले हैं। बिहार में जाति आधारित गणना के बाद 75 प्रतिशत आरक्षण कोटा बढ़ाकर किए जाने के बाद इसकी जरूरत फिलहाल बहुत ज्यादा महसूस हो रही है कि राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण से अलग अलग जातियों में गरीबों की संख्या सामने आए हैं। इसमें बिहार में 34.1 फीसदी गरीबों की संख्या सामने आई है।
नीति आयोग के आकलन में 33.8 प्रतिशत बिहार में गरीबी रेखा के नीचे थे। दोनों आंकड़े बेहद करीब रहे हैं। इसलिए बिहार में अभियान चलाकर ऐसे परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने की जरूरत है। इस दिशा में सीएम नीतीश ने पहले ही कहा है कि गरीब परिवारों को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता और भूमिहीन और आवास विहीन लोगों को घर के लिए वित्त सहयोग दिया जाएगा। इस पर 2.5 लाख करोड़ के खर्च का आकलन है। इसे बिहार सरकार पांच साल में पूरा करना चाहती है।