इतिहास के पन्नों में 29 नवंबरः विपक्ष की ‘तोप’ से हारी राजीव की ‘बोफोर्स’

देश-दुनिया के इतिहास में 29 नवंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह ऐसी तारीख है जिसने साल 1989 में भारत में कांग्रेस की हुकूमत की चूलें हिला दीं। यह बात 34 साल पहले की है। कुछ माह बाद लोकसभा चुनाव होने थे। उसके पहले ही 24 जून 1989 को लोकसभा में बोफोर्स तोप घोटाले पर विपक्ष की तोप खड़ी हो गई। उस समय 514 सीटों वाली लोकसभा में विपक्ष के सिर्फ 110 सांसद ही थे।

कांग्रेस के पास 404 सांसद थे। इस तारीख ने कांग्रेस की राजनीति में भूचाल ला दिया। मामला 1,437 करोड़ रुपये के बोफोर्स घोटाले का था, जिसमें स्वीडिश कंपनी एबी बोफोर्स से 155 मि.मी. की 400 हॉविट्जर तोपों का सौदा हुआ था। 1986 में हुई बोफोर्स डील में भ्रष्टाचार और दलाली का खुलासा 1987 में स्वीडिश रेडियो ने किया था।

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आरोप यह था कि कंपनी ने सौदे के लिए भारतीय नेताओं और रक्षा मंत्रालय को 60 करोड़ रुपये की घूस दी। नवंबर में ही चुनाव हुए। उस समय पांच पार्टियों ने मिलकर नेशनल फ्रंट बनाया। इसके नेता थे वीपी सिंह। नतीजे आए और कांग्रेस सिर्फ 193 सीट ही जीत सकी। हालांकि नेशनल फ्रंट को भी बहुमत नहीं मिला। बाद में भाजपा और वामदलों ने वीपी सिंह को समर्थन दिया और प्रधानमंत्री बनाया। आखिरकार 29 नवंबर 1989 को राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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