देश-दुनिया के इतिहास में 19 दिसंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख गोवा के लिए महत्वपूर्ण तो है ही, साथ में भारत और पुर्तगालियों के लिए भी खास है। यहां यह याद रखना जरूरी है कि भारत भले ही 1947 में आजाद हुआ, लेकिन ऐसी कई और रियासतें थी, जिन्हें आजादी मिलनी बाकी था। इनमें से एक गोवा भी था। 19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव में प्रवेश करके इन इलाकों को साढ़े चार सौ साल के पुर्तगाली राज से आजाद कराया था।
दरअसल, ब्रिटिश और फ्रांस के सभी कोलोनियल राइट्स के खत्म होने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन था। भारत सरकार की बार-बार बातचीत की मांग को पुर्तगाली ठुकरा रहे थे। आजिज आकर भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत सेना की छोटी टुकड़ी भेजी। गोवा, दमन और दीव में 36 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जमीनी, समुद्री और हवाई हमले किए गए।
इसके बाद पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के भारतीय सेना के समक्ष 19 दिसंबर को आत्मसमर्पण किया। बताया जाता है कि उस समय पुर्तगाल के पास केवल 3,300 सैनिक थे, वहीं भारत की सैन्य टुकड़ी 30,000 जवानों की थी। 30 मई, 1987 को गोवा को राज्य का दर्जा दे दिया गया। दमन और दीव केंद्रशासित प्रदेश बने रहे। गोवा मुक्ति दिवस प्रति वर्ष 19 दिसंबर को मनाया जाता है।