कोलकाता : शुभ सृजन नेटवर्क एवं राजस्थान सूचना केंद्र, कोलकाता द्वारा आयोजित शुभ सृजन सारथी -2023 सम्मान समारोह एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में पत्रकारिता एवं साहित्य के क्षेत्र में गत 50 वर्षों से सक्रिय डॉ. एस. आनंद को सृजन सारथी सम्मान से सम्मानित किया गया। उनको स्मृति चिह्न राजस्थान सूचना केन्द्र के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने प्रदान किया।
वहीं शॉल कार्यक्रम अध्यक्ष दैनिक सूत्रकार के सम्पादक अशोक पांडेय एवं प्रधान अतिथि एवं भारतमित्र हिन्दी दैनिक के कार्यकारी सम्पादक वासुदेव ओझा ने पहनाय़ी। अभिनंदन पत्र दैनिक वर्तमान के प्रभारी लोकनाथ तिवारी एवं सलाम दुनिया के सम्पादक सन्तोष कुमार सिंह ने प्रदान की। अभिनंदन पत्र का पाठ डॉ. जयप्रकाश मिश्र ने किया।
अपने वक्तव्य में डॉ. एस. आनंद ने हिन्दीभाषी समाज की साहित्य के प्रति उदासीनता और अपनी सृजन यात्रा पर चर्चा की।
इस अवसर पर कोरोना काल, इंटरनेट एवं हिन्दी के पत्रकार विषय पर एक परिचर्चा भी आयोजित की गयी। परिचर्चा में अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए दैनिक सूत्रकार के सम्पादक अशोक पांडेय ने कहा कि आज इंटरनेट पर सूचनाएं साझा की जा रही हैं, उसे खबर का दर्जा मिल सके इसलिए इंटरनेट पर प्रसारित होने वाली खबरों को लेकर भी प्रिंट मीडिया की तरह कानून बनना चाहिए। इस दिशा में सरकारों को काम करना होगा। भाषा, शैली और खबर पर पकड़ होनी चाहिए। इंटरनेट की पत्रकारिता पर भी अंकुश लगना चाहिए।
सलाम दुनिया के सम्पादक सन्तोष कुमार सिंह ने हिन्दी पत्रकारों की चुनौतियों पर चर्चा की और कार्यस्थल के वातावरण को बेहतर बनाने पर जोर दिया।
वर्तमान हिन्दी पत्रिका के प्रभारी लोकनाथ तिवारी ने इंटरनेट पर फैल रही फर्जी खबरों पर चिंता जतायी।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ पीहू पापिया ने कोरोनाकाल के सकारात्मक प्रभावों की चर्चा की।
कोलकाता हिन्दी न्यूज ने कोरोनाकाल के दौरान पत्रकारों की चुनौतियों पर चर्चा की और अखबारों को विश्वसनीय माध्यम बताया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण राजस्थान सूचना केन्द्र के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने दिया।
कार्यक्रम का संचालन विवेक तिवारी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन शुभ सृजन नेटवर्क के संरक्षक श्रीमोहन तिवारी ने दिया।
कार्यक्रम पर बात रखते हुए शुभ सृजन नेटवर्क की प्रमुख सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया ने कहा कि डॉ. एस. आनंद जैसे दिग्गज को सम्मानित करना अपना सम्मान करना है जो साहित्य और पत्रकारिता के महत्वपूर्ण सेतु हैं। हिन्दी के पत्रकारों की अपनी बहुत चुनौतियां रहती हैं और कोरोना काल ने पत्रकारिता और पत्रकारों को प्रभावित किया। यह परिचर्चा एक आवश्यक बातचीत का माध्यम रही।