West Bengal : कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने को लेकर तृणमूल में असमंजस

कोलकाता : विपक्षी गठबंधन इंडी में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर जारी खींचतान के चलते तृणमूल तृणमूल कोई फैसला नहीं ले पा रही है। पार्टी ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह 25 जनवरी को राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होगी या नहीं।

तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने बताया,”” यात्रा में शामिल होने पर फैसला अभी बाकी है। हमें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण भी नहीं मिला है। जैसे ही हमें निमंत्रण मिलेगा हम अपने निर्णय की घोषणा करेंगे।””

तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी की शुक्रवार शाम को मुर्शिदाबाद जिले में होने वाली पार्टी की संगठनात्मक बैठक के दौरान इस मामले पर स्पष्ट स्थिति सामने आ सकती है। बनर्जी सहित तृणमूल के नेताओं ने कहा है कि यह उनकी पार्टी है जो पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) से मुकाबला कर रही है। पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा,””यह ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ही है जिसने 2021 में बंगाल में साबित कर दिया कि भाजपा को हराया जा सकता है।””

राज्य में वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल को इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए क्योंकि इससे विपक्षी गठबंधन इंडी के पक्ष में एक सकारात्मक संदेश जाएगा।

उन्होंने कहा,””अब तृणमूल को तय करना चाहिए कि उन्हें क्या करना है।”” विपक्षी गठबंधन इंडी के दो प्रमुख घटक तृणमूल और कांग्रेस अभी तक पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के लिए सीट-बंटवारा समझौते के करीब नहीं पहुंच पाए हैं। कांग्रेस के 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर तृणमूल की दो सीटों की पेशकश को स्वीकार नहीं किया गया जिससे दोनों पार्टियों के बीच तनाव बढ़ गया। पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में तृणमूल ने 22 सीटें हासिल की थीं, कांग्रेस ने दो और भाजपा के हिस्से में 18 सीटें आई थीं ।

उल्लेखनीय है कि न्याय यात्रा अभी असम में है और 25 जनवरी को कूचबिहार जिले के बक्सिरहाट से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने वाली है। यह यात्रा 27 जनवरी को बिहार पहुंचने से पहले पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, उत्तर दिनाजपुर और दार्जिलिंग से होकर गुजरेगी। यह 30 जनवरी को मालदा के रास्ते पश्चिम बंगाल में फिर से प्रवेश करेगी और 31 जनवरी को राज्य छोड़ने से पहले कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले मालदा और मुर्शिदाबाद से होकर गुजरेगी।

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