देश-दुनिया के इतिहास में 25 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व भारतीय पर्यटन के लिहाज से बहुत खास है। दुनिया को भी भारत के पर्यटन से परिचित कराने के लिए हर साल जनवरी में इसी तारीख को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है। वैसे तो भारत में दो बार पर्यटन दिवस मनाया जाता है। एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन दिवस (27 सितंबर) और दूसरा भारत का पर्यटन दिवस (25 जनवरी)।
देश में पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के अगले वर्ष 1948 से की गई थी। पर्यटन के महत्व को समझते हुए आजाद भारत में इसे बढ़ावा देने की पहल स्वरूप पर्यटन यातायात समिति का गठन किया गया था। तीन साल बाद 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों की शुरुआत हुई। बाद में दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भी पर्यटन कार्यालय खोले गए। वर्ष 1998 में पर्यटन और संचारमंत्री के नेतृत्व में पर्यटन विभाग की स्थापना हुई।
इस साल पर्यटन दिवस-2024 का विषय ‘सतत यात्राएं, असामयिक यादें’ हैं। यह थीम जिम्मेदार और सचेत यात्रा की अवधारणा पर जोर देती है। पिछले साल इसकी थीम ‘ग्रामीण और सामुदायिक केंद्रित पर्यटन’ और 2022 की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ थी। देश में 28 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों में अलग-अलग भाषा, बोलियां, संस्कृति और परंपराएं हैं। कोई राज्य बर्फ की चादर से ढके रहते हैं तो कुछ राज्य हरी-भरी वादियों के बीच पहाड़ों में स्थित हैं। कुछ मैदानी क्षेत्र, जंगलों और रेतीले मैदानों से घिरे हैं तो कुछ झीलों और झरनों से समृद्ध हैं। दक्षिण भारतीय राज्य समुद्र तटों पर बसे हैं। पहाड़ों से लेकर मैदानी और समुद्री तटों पर स्थित इस जगहों पर कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। इतनी विविधताओं वाले देश की आबादी ही इन विविधताओं और अलग संस्कृतियों से परिचित नहीं है। सरकार का जोर है कि लोग देश को जानें-समझें।
यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि देश की अर्थव्यवस्था का कुछ अंश पर्यटन पर निर्भर है। पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार और देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की जा सकती है। पर्यटन भारत की समृद्धता से सभी को परिचित कराने का सशक्त माध्यम है। इसके जरिए पूरे विश्व को भारत की ओर आकर्षित किया जाता है। वैश्विक स्तर पर पर्यटन के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों से लोगों को जागरूक कराने के उद्देश्य से पर्यटन दिवस मनाया जाता है।