इतिहास के पन्नों में 10 फरवरीः जेआरडी टाटा जैसा कोई नहीं

देश-दुनिया के इतिहास में 10 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख दिवंगत उद्योगपति जेआरटी टाटा के जीवन में स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित है। दरअसल 10 फरवरी, 1929 को ही जेआरडी टाटा को भारत का पहला पायलट लाइसेंस दिया गया था। जेआरडी ने ही देश की पहली कमर्शियल विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की, जो आगे चलकर सन 1946 में एअर इंडिया बनी।

जेआरडी टाटा ने 15 अक्टूबर, 1932 को सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर कराची के द्रिघ रोड एयरपोर्ट के पुस मॉथ हवाई जहाज से मुंबई के लिए उड़ान भरी थी। इस दौरान कुछ वक्त के लिए विमान अहमदाबाद में रुका था, जहां बरमा शेल के चार गैलन के पेट्रोल के पीपे को बैलगाड़ी पर लादकर लाया गया था और उस छोटे से विमान में भरा गया। इसके बाद दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर विमान ने मुंबई के जुहू हवाई अड्डे पर लैंड किया। इस दौरान विमान में कोई पैसेंजर नहीं था, बल्कि इसमें चिटि्ठयां भरी हुई थीं। इन चिट्ठियों का कुल वजन 27 किलोग्राम था। यह चिट्ठियां लंदन से इम्पीरियल एयरवेज के माध्यम से कराची लाई गई थीं।

टाटा एयरलाइंस के लिए साल 1933 पहला व्यावसायिक वर्ष रहा। टाटा संस की दो लाख की लागत से स्थापित कंपनी ने इसी वर्ष 155 पैसेंजर और लगभग 11 टन डाक भी ढोई। ब्रितानी शाही रॉयल एयरफोर्स के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे, जबकि जेआरडी टाटा और विंसेंट दूसरे और तीसरे पायलट थे।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब विमान सेवाओं को बहाल किया गया तब 29 जुलाई, 1946 को टाटा एयरलाइंस पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और उसका नाम बदलकर एअर इंडिया लिमिटेड रखा गया। आजादी के बाद यानी साल 1947 में भारत सरकार ने एअर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागीदारी ली। एअर इंडिया की 30वीं बरसी पर15 अक्टूबर, 1962 को जेआरडी टाटा ने एक बार फिर से कराची से मुंबई की उड़ान भरी थी। वो हवाई जहाज खुद चला रहे थे। मगर इस बार जहाज था पहले से ज्यादा विकसित जिसका नाम लेपर्ड मॉथ था।

जेआरडी की जीवनी ‘बियॉन्ड द लास्ट ब्लू माउंनटेन’ में आरएम लाला लिखते हैं कि लंदन टाइम्स के 19 नवंबर, 1929 के अंक में आगा खां की तरफ से एक विज्ञापन छपा, जिसमें कहा गया था कि जो भारतीय इंग्लैंड से भारत या भारत से इंग्लैंड की अकेले विमान से यात्रा करेगा उसे 500 पाउंड इनाम में दिए जाएंगे। टाटा ने ये चुनौती स्वीकार की। उन्हें इस मुकाबले में अस्पी इंजीनियर ने हरा दिया, जो बाद में भारत के वायु सेना प्रमुख बने। जेआरडी टाटा को वर्ष 1957 में पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया। जेआरडी टाटा ने 29 नवंबर 1993 को अंतिम सांस ली।

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