देश-दुनिया के इतिहास में 20 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारत की आजादी के लिए अहम है। 1947 में 20 फरवरी को ही तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने ऐलान किया था कि 30 जून, 1948 से पहले भारत को आजाद कर दिया जाएगा।
इसके कुछ समय बाद भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने तीन जून, 1947 को ऐलान किया कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दी जाएगी। साथ ही भारत और पाकिस्तान को दो देशों में बांट दिया जाएगा। भारत और पाकिस्तान दोनों संप्रभु होंगे और दोनों का अपना अलग संविधान होगा। एटली के ऐलान के छह महीने बाद 15 को भारत को आजादी मिली।
भारत की आजादी की घोषणा करने वाले क्लेमेंट एटली 1928 में भारत आने वाले साइमन कमीशन का हिस्सा थे। एटली उस समय सांसद थे। भारत में कानूनी सुधारों के लिए बने इस साइमन कमीशन में किसी भारतीय के न होने से देश में इसका जमकर विरोध हुआ था।
साइमन कमीशन में शामिल रहे यही एटली आगे चलकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने। जुलाई 1945 को हुए आम चुनाव में एटली ने कंजरवेटिव कैंडिडेट और तत्कालीन प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल को हराया था। चर्चिल भारत की आजादी के खिलाफ थे, लेकिन एटली के प्रधानमंत्री बनते ही भारत की आजादी का रास्ता साफ हुआ।
लॉर्ड माउंटबेटन ने तीन जून, 1947 को भारत की आजादी और भारत-पाकिस्तान बंटवारे की योजना पेश की थी। इसे ‘माउंटबेटन प्लान’ के नाम से जाना जाता है। इसी प्लान के आधार पर 18 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद ने इंडिया इंडिपेंडेस एक्ट पास किया। इस एक्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान को दो स्वतंत्र देशों के रूप में गठन के अलावा रियासतों को भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ जाने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था। भारत के बंटवारे के लिए दो अधिकारी नियुक्त किए गए थे- एचएम पटेल और चौधरी मोहम्मद अली। इन अधिकारियों के नीचे भी कई अधिकारी नियुक्त किए गए।
अली और पटेल को बाकी सभी अधिकारी अलग-अलग इलाकों से रिपोर्ट बनाकर भेजते थे। इन रिपोर्ट के आधार पर दोनों अधिकारी बंटवारे की सिफारिशें तैयार करते थे। इन्हें बंटवारे के लिए बनी पार्टिशन काउंसिल के पास भेजा जाता था। इस काउंसिल के अध्यक्ष थे लॉर्ड माउंटबेटन। इन्हीं सिफारिशों के आधार पर देश की एक-एक चीज का बंटवारा हुआ।