इतिहास के पन्नों में 02 मार्चः आइए याद करें देश की पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू को

देश-दुनिया के इतिहास में 02 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख देश की प्रथम महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू के अवसान के रूप में इतिहास का अहम हिस्सा है। सरोजिनी नायडू को सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी याद किया जाता है।

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में वह औपनिवेशिक शासन के अत्याचार के खिलाफ मजबूती से खड़ी रहीं। प्रसिद्ध कवि, नाटककार के रूप में उन्होंने सामाजिक मुद्दों को उठाया। देश को आजादी मिलने के ठीक दो साल बाद दो मार्च, 1949 को सरोजिनी नायडू का लखनऊ में निधन हो गया। उन्होंने 12 साल की उम्र में कविताएं लिखना शुरू किया था। उनकी कविताओं से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने उन्हें भारत कोकिला की उपाधि दी थी।

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक परीक्षा में टॉप किया। 1895 में 16 साल की उम्र में नायडू हायर एजुकेशन के लिए इंग्लैंड गईं और अगले तीन वर्ष तक किंग्स कॉलेज लंदन और गिरटन कॉलेज में पढ़ाई की। 1898 में 19 साल की उम्र में सरोजिनी नायडू की शादी डॉक्टर गोविंद राजालु नायडू से हुई थी। 1914 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई और यहीं से वह देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ गईं। गांधीजी के भारत आने से पहले उन्होंने बापू के साथ दक्षिण अफ्रीका में भी काम किया था। 1925 में वो कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं। वैसे तो कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एनी बीसेंट थीं, लेकिन सरोजिनी नायडू इस पद तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला हैं।

भारत में प्लेग महामारी के दौरान सरोजिनी नायडू के शानदार काम के लिए 1928 में उन्हें ‘केसर-ए-हिंद’ से सम्मानित किया गया। देश की आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्रोविंस (अब उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल चुना गया। सरोजिनी नायडू देश की पहली महिला राज्यपाल हैं। वे अपने निधन तक इस पद पर रहीं। सरोजिनी नायडू की 135वीं जयंती से भारत में 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई।

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