तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने 4 मार्च 1921 को ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान) में 70 निहत्थे भारतीयों की जान ली थी। ये नरसंहार ननकाना स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे में हुआ था। उस समय ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन चल रहा था।
इसी सिलसिले में ननकाना साहिब गुरुद्वारे में भी स्थानीय लोगों ने शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया था। सभा चल ही रही थी कि अंग्रेज सैनिक वहां पहुंच गए और गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सभा में मौजूद 70 लोगों की जान गई।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के दो वर्षों के भीतर हुए इस हत्याकांड के बाद अंग्रेज सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और भी हिंसक हो गए। उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल 1919 अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सरकार ने बर्बरता और पाशविकता की तमाम हदों को पार करते हुए निहत्थे भारतीयों के खून की होली खेली थी।