देश-दुनिया के इतिहास में 09 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। साल 1967 की यह ऐसी तारीख है, जो तत्कालीन सोवियत संघ (अब रूस) और भारत के संबंधों में कुछ समय के लिए खटास लिए बड़ी वजह बनी। गौरतलब है कि भारत और सोवियत संघ के संबंध बहुत गहरे रहे हैं। यह खटास सोवियत संघ के पूर्व नेता जोसेफ स्टालिन की बेटी स्वेतलाना अलिलुयेवा के कारण आई। 09 मार्च को स्वेतलाना भारत आईं और यहां से अमेरिका भाग गईं। दोबारा सोवियत संघ नहीं लौटीं। इसे सोवियत संघ ने बहुत गंभीरता से लिया।
स्वेतलाना भारत के ब्रजेश सिंह की अनौपचारिक पत्नी थीं। ब्रजेश सिंह के भतीजे दिनेश सिंह तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। ब्रजेश सिंह की मौत के बाद स्वेतलाना भारत आईं और उनका हिंदू रीति-रिवाज से अस्थि विसर्जन किया। स्वेतलाना प्रतापगढ़ में ब्रजेश सिंह के गांव भी गईं। स्वेतलाना ने भारत से वापस सोवियत संघ जाने की जगह अमेरिका में शरण लेने का फैसला किया। स्वेतलाना जब भारत आईं तब देश में आम चुनाव का दौर चल रहा था। इसी कारण न तो पॉलिटीशियन और न ही मीडिया को स्वेतलाना के भारत में होने से कोई खास दिलचस्पी थी। लेकिन अचानक से एक खबर आती है कि स्वेतलाना ने भारत से होते हुए अमेरिका में शरण ली है।
सोवियत संघ यह कहते हुए भारत से नाराज हुआ कि एक खास मेहमान का सही से ख्याल नहीं रखा गया। सोवियत दूतावास ने अमेरिकी राजदूत और सीआईए को भी खरी-खोटी सुनाई और अपहरण का आरोप लगाया। सोवियत संघ की नाराजगी के कारण भारत ने अपना दूत स्वेतलाना के पास भेजा और एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराया, जिसमें लिखा था कि भारत ने उनकी अमेरिका जाने में कोई मदद नहीं की है। सोवियत संघ छोड़ने के फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि वह बेकार जिंदगी नहीं जीना चाहती थीं। स्वेतलाना का अंत समय बेहद गरीबी में बीता और 22 नवंबर 2011 को उनका अमेरिका में निधन हो गया।