देश-दुनिया के इतिहास में 12 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व आजादी आंदोलन से भी है। गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ना था। गांधीजी ने साबरमती में अपने आश्रम से समुद्र की ओर चलना शुरू किया। 78 सत्याग्रहियों के साथ शुरू दांडी यात्रा में हजारों लोग शामिल हो गए। 06 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्र तट पर नमक कानून तोड़ा।
महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया। यहां से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की। वे लगभग 390 किलोमीटर का सफर तय कर दांडी पहुंचे। यह वह दौर था जब ब्रितानिया हुकूमत का चाय, कपड़ा और यहां तक की नमक जैसी चीजों पर भी एकाधिकार था।
ब्रिटिश राज में भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था, बल्कि उन्हें इंग्लैंड से आने वाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे। दांडी मार्च के बाद अगले कुछ महीनों में 80,000 भारतीयों को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे एक चिंगारी भड़की, जो आगे चलकर सविनय अवज्ञा आंदोलन में बदली।