नयी दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद से देशभर से पक्ष विपक्ष में प्रतिक्रिया आ रही है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेता जहां इसका समर्थन कर रहे हैं, वहीं विपक्ष इसके समय और इसके प्रावधानों पर सवाल उठा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित कर दिया। ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे। इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि सीएए नागरिकता छीनने का नहीं, नागरिकता देने का कानून है। संकल्प से सिद्धि तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी एक और गारंटी पूरी कर दी है।
विश्व हिन्दु परिषद ने भी फैसले का स्वागत किया है। सरकार का धन्यवाद देते हुए विहिप ने कहा है कि इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित शरणार्थियों के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता अब साफ हो गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे भारत में सम्मान के साथ और समान व्यक्ति के रूप में रहें। विहिप अपने कार्यकर्ताओं और अन्य सामाजिक संगठनों से ऐसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने की औपचारिकताओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करने का आह्वान करती है। यह उन सभी को शरण, सम्मान और प्रतिष्ठा देने की भारतीय परंपरा के अनुरूप है जो बाहर अपमान सहते हैं और भारत माता की शरण लेते हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सीएए नियमों को साढ़े चार साल बाद लागू किए जाने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि चुनावों से पहले इसे लागू करना देश में और विशेष रूप से असम और बंगाल में ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा है। साथ ही उन्होंने यह इलेक्टोरल बांड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है।