कोलकाता : बांग्लादेश की सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल की कूचबिहार लोकसभा सीट पर इस बार विभिन्न कारणों से दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है। कूचबिहार से भाजपा सांसद एवं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निशिथ प्रमाणिक ने पहले ही प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी आगामी चुनावों के लिए अपनाई जाने वाली प्रचार शैली को लेकर थोड़े भ्रमित नजर आ रहे हैं।
कूचबिहार में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है। वहां 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी पार्टी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। पार्टी के एक हाई प्रोफाइल विधायक एवं पूर्व जिला अध्यक्ष के समर्थकों के बीच जारी खींचतान चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। इस कारण भाजपा के हैवीवेट उम्मीदवार के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान की कमी दिख रही है। तृणमूल कांग्रेस ने जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से एक, सिताई के मौजूदा विधायक जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया को मैदान में उतारा है। बसुनिया को पहले से ही जिले में पार्टी की अंदरूनी कलह का आभास होने लगा है। पार्टी के कई दिग्गज नेता कैंपिंग रैलियों और नुक्कड़ सभाओं से नदारद हैं।
तृणमूल के एक नेता पूर्णचंद्र सिन्हा ने बताया कि पार्टी के बुरे वक्त में तृणमूल कांग्रेस के साथ रहने के बावजूद पिछले साल पंचायत चुनाव के बाद से जिले के कई वरिष्ठ नेताओं को गतिविधियों से दूर रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए इस बार हमने खुद को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने का फैसला किया है। इसी तरह की राय पार्टी के किसान मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष जुलजेलाल मियां ने भी व्यक्त की। एक शाखा संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष होने के बावजूद पार्टी के जिला नेतृत्व द्वारा उनके सुझावों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा था। यही कारण है कि हम चुनावी गतिविधियों से दूर रह रहे हैं, हालांकि भावनात्मक रूप से मैं अभी भी तृणमूल कांग्रेस के साथ हूं। हालांकि, बसुनिया खुद इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सीएए पर हालिया अधिसूचना आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि राजबंशी समुदाय इससे नाराज हैं।
इंडी गठबंधन में भी एकजुटता नहीं
वाम मोर्चा के घटक दल ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जिले के अनुभवी पार्टी नेता नीतीश चंद्र रॉय को मैदान में उतारा है, जो छात्र राजनीति से पार्टी में आगे बढ़े हैं। यह स्वीकार करते हुए कि जिले में उनकी पार्टी का संगठनात्मक नेटवर्क सही स्थिति में नहीं है, रॉय ने कहा कि वह बड़ी रैलियों या बैठकों के बजाय घर-घर अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
कूचबिहार लंबे समय तक ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का एक मजबूत गढ़ रहा था। वहां के लोगों ने 1977 और 2009 के बीच वाम मोर्चा के इस घटक दल को लगातार दस बार जीत दिलाई थी। वर्ष 2009 में तृणमूल कांग्रेस की लहर के बीच भी ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार नृपेंद्र नाथ रॉय 41 हजार से अधिक वोटों के अंतर से निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में पैटर्न बदल गया। तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका सिन्हा करीब एक लाख वोटों के अंतर से चुनी गईं। इस सीट पर 2016 के उपचुनाव में तृणमूल उम्मीदवार पार्थ प्रतिम रॉय ने जीत का अंतर बढ़ाकर चार लाख से अधिक कर दिया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के निशिथ प्रमाणिक 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से विजयी रहे।
कांग्रेस ने भी उतारा उम्मीदवार
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान वाम दलों और कांग्रेस के बीच तालमेल की बात की जा रही थी लेकिन तमाम आपसी सहमति को दरकिनार कर कांग्रेस ने यहां से प्रिया राय चौधरी को उम्मीदवार बना दिया है। इसकी वजह से भाजपा विरोधी वोट एकजुट होने के बजाय तीन जगहों पर बंटेगा और निशिथ प्रमाणिक को इसका लाभ मिल सकता है।