Loksabha Election : आरामबाग सीट पर महज हजार वोट से पिछड़ गई थी भाजपा, इस बार कांटे की टक्कर

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद राजनीतिक गहमागहमी तेज है। कई लोकसभा सीटें हाई प्रोफाइल हैं जिनमें से हुगली जिले की आरामबाग सीट भी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार महज हजार वोट से तृणमूल से पिछड़ गए थे। यह लोकसभा क्षेत्र भाजपा के गढ़ के तौर पर जाना जाता है क्योंकि यहां से विधानसभा, नगरपालिका और जिला परिषद तीनों पर भाजपा का कब्जा है। इस बार पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस से यह सीट छीन लेने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इस सीट की अहमियत कितनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी इस बार पश्चिम बंगाल में अपने लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज आरामबाग लोकसभा सीट से ही किया था।

किस पार्टी से कौन उम्मीदवार

इस बार तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर उम्मीदवार बदल दिया है। 2019 में अपरूपा पोद्दार ने जीत दर्ज की थी। इस बार मिताली बाग को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने भी 2019 में इस सीट पर तपन कुमार राय को चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन इस बार अरूप कांति दिगर को चुनावी दंगल में उतारा है। वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं और और लंबे समय से पार्टी से जुड़े रहे हैं। वामदलों की ओर से भी आरामबाग सीट पर उम्मीदवार का ऐलान कर दिया गया है। यहां से पार्टी ने बिप्लव कुमार मैत्र को टिकट दिया है जो खानाकुल से माकपा के पूर्व विधायक बंसी नंदन मैत्र के बड़े बेटे हैं। तीनों ही उम्मीदवारों की छवि साफ सुथरी है लेकिन सीधी टक्कर तृणमूल और भाजपा के बीच होने की उम्मीद है।

क्या है आरामबाग का राजनीतिक इतिहास

आरामबाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। पश्चिम बंगाल के आरामबाग निर्वाचन क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्र हुगली जिले में हैं, एक खंड पश्चिम मेदिनीपुर जिले में है। इस सीट को 2009 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। पश्चिम बंगाल के आरामबाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का का गठन 1967 में हुआ था। फॉरवर्ड ब्लॉक के ए. बोस यहां से सांसद चुने गए थे। उन्होंने कांग्रेस के एस. चौधरी को पराजित किया था। 1971 में सीपीएम के मनोरंजन हजारा ने यह सीट फॉरवर्ड ब्लॉक से छीन ली थी। कांग्रेस यहां दूसरे स्थान पर रही थी। 1977 में बीएलडी के प्रफुल्ल चंद्र सेन को विजय मिली कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही।

1980 में सीपीएम की फिर वापसी हुई और बिजॉय कृष्ण मोदक ने यहां से विजय हासिल की थी। 1984 से 2009 तक सीपीएम का ही जलवा रहा और यहां से सीपीएम के अनिल बसु सांसद चुने जाते रहे। 1984 में अनिल बसु पहली बार सीपीएम से सांसद बने थे। इसके बाद उन्होंने 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक अपनी विजय यात्रा जारी रखी। 2009 में सीपीएम के शक्ति मोहन ने भी पार्टी का विजय अभियान जारी रखा था।

2009 में ही ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की धमक दिखाई देने लगी थी। 2009 के चुनाव में सीपीएम का उम्मीदवार आरामबाग से भले जीत गया हो पर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी।

क्या है 2019 का जनादेश
आरामबाग लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के अपरूपा पोद्दार ने जीत हासिल की थी। उनको छह लाख 49 हजार 929 वोट मिले थे और बीजेपी के तपन कुमार राय को छह लाख 48 हजार 787 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। महज हजार से कुछ अधिक वोटों का अंतर था इस बार मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है।

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