इतिहास के पन्नों में 11 अप्रैलः ऑस्कर अवॉर्ड समारोह में छा गई फिल्म गांधी

देश-दुनिया के इतिहास में 11 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख राजनीतिक सिनेमा के लिए खास है। हुआ यूं था कि 11 अप्रैल 1983 को 55वां ऑस्कर अवॉर्ड समारोह हुआ। इसमें बेन किंग्स्ले की फिल्म गांधी छायी रही। किंग्स्ले ने इस फिल्म में महात्मा गांधी का किरदार निभाया था। इस फिल्म को 11 श्रेणियों में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था।

फिल्म ने कुल आठ ऑस्कर अवॉर्ड जीते। किंग्स्ले बेस्ट एक्टर चुने गए। इसके अलावा फिल्म को बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड गांधी बनाने वाले रिचर्ड एटेनबोरो और स्क्रीनप्ले के लिए जॉन ब्रिले को अवॉर्ड मिला। बेस्ट कैमरा वर्क भी गांधी में हुआ। इतना ही नहीं बेस्ट ड्रेस और एडिटिंग के लिए भी गांधी फिल्म ने ऑस्कर जीता।

भारत के इतिहास में राजनीतिक रूप से 11 अप्रैल की तारीख का बहुत महत्व है। इसी तारीख को दो बड़ी राजनीतिक घटनाएं हुईं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1964 में इसी तारीख को दो हिस्सों में बंट गई। एक का नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और दूसरी का नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) रखा गया। इस विभाजन की वजह दोनों धड़ों में विचारधारा को लेकर पैदा हुए मतभेद थे। रूस और चीन के बीच कम्युनिस्ट विचारधारा को लेकर जो मतभेद पैदा हुए थे, वही मतभेद इन दोनों धड़ों के बीच भी था।

इसके अलावा एक और घटना महत्वपूर्ण है। बात 1997 की है। केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार थी। जनता दल के एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे। उनकी पार्टी को लोकसभा की महज 46 सीटें मिली थीं। इसके बाद भी वो 13 दलों के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें प्रधानमंत्री बने 10 महीने हो चुके थे। 11 अप्रैल को देवगौड़ा सरकार को विश्वास मत साबित करना था, लेकिन वो इसे साबित नहीं कर सके। दरअसल, संयुक्त मोर्चा सरकार को बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई थी। सदन में पेश हुए विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में महज 158 सदस्यों ने वोट किया, जबकि विरोध में 292 वोट पड़े। दस दिन के ड्रामे के बाद एक बार फिर संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी। इस बार भी उसे कांग्रेस ने समर्थन दिया। बस चेहरा बदल गया। 21 अप्रैल 1997 को जनता दल के ही इंद्र कुमार गुजराल ने देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, उन्हें भी छह महीने के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा।

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