इतिहास के पन्नों में 03 मईः दुनिया में इसलिए मनाया जाता है सूर्य दिवस

देश-दुनिया के इतिहास में 03 मई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए याद की जाती है।हर साल 03 मई को अंतरराष्ट्रीय सूर्य दिवस मनाया जाता है। भारत अपनी सौर ऊर्जा क्षमताओं में लगातार वृद्धि ही नहीं कर रहा, बल्कि दुनिया के तमाम देशों के बीच अकेला देश है जिसने अपने नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को तय समय से पहले हासिल किया है।

इसी साल 12 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने मिर्जापुर में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े 75 मेगावाट (101 मेगावाट डीसी) क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। मिर्जापुर जिले के विजयपुर ग्राम में लगभग 528 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस संयंत्र से प्रतिवर्ष 13 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। इस संयंत्र की स्थापना फ्रांस की कंपनी ईएनजीआईई ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की सौर पार्क योजना के अंतर्गत की है।

दरअसल सूर्य से प्राप्त शक्ति को सौर ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा को ऊष्मा या विद्युत में बदलकर अन्य प्रयोगों में लाया जाता है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को प्रयोग में लाने के लिये सोलर पैनलों की आवश्यकता होती है। सोलर पैनलों में सोलर सेल (फोटोवोल्टेइक) होते हैं, जो ऊर्जा को उपयोग करने लायक बनाते हैं। भारतीय भू-भाग पर पांच हजार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है। साफ धूप वाले दिनों में सौर ऊर्जा का औसत पांच किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर होता है। एक मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिये लगभग तीन हेक्टेयर समतल भूमि की जरूरत होती है। प्रकाश विद्युत विधि में सौर ऊर्जा को विद्युत में बदलने के लिए फोटोवोल्टेइक सेलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सौर तापीय विधि में सूर्य की ऊर्जा से हवा या तरल पदार्थों को गर्म किया जाता है और इसका उपयोग घरेलू काम में किया जाता है। इस दिवस की उपयोगिता बढ़ते पर्यावरण आंदोलन और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज को संदर्भित करती है। 1977 में पारित एक संयुक्त प्रस्ताव के बाद अमेरिकी कांग्रेस द्वारा सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तिथि निर्धारित करने के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 03 मई, 1978 को पहला आधिकारिक सूर्य दिवस मनाया था।

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