भारत ने 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण परमाणु स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण किये। इनमें 45 किलोटन का एक तापीय परमाणु उपकरण शामिल था। इसे आमतौर पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है। 11 मई को हुए परमाणु परीक्षण में 15 किलोटन का विखंडन उपकरण और 0.2 किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था। इस परीक्षण की सफलता के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा- “आज 3 बज कर 45 मिनट पर भारत ने तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए। मैं इन सफलतापूर्वक परीक्षण करने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनयरों को बधाई देता हूँ।
तत्कालीन रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के अलावा उस समय परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष आर चिदंबरम और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक रहे अनिल काकोडकर ने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस ऑपरेशन को इतना गुप्त रखा गया था कि तत्कालीन वाजपेयी सरकार के कई मंत्रियों को भी इसकी भनक नहीं थी।
अटल बिहारी वाजपेयी 20 मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे। वहां से उन्होंने देश को नया नारा दिया- ‘जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान।’ अमरीका सहित फ्रांस, जापान और चीन आदि देशों ने भारत को आर्थिक सहायता न देने की धमकी भी दी किन्तु भारत इन धमकियों के सामने नहीं झुका।
इससे पहले भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परिक्षण स्माइलिंग बुद्धा (पोखरण-1) 18 मई 1978 को किया था। बाद में 11 और 13 मई 1998 को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण कर भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।