कोलकाता : इस बार पद्म सम्मानों से सम्मानित होने वालों में पश्चिम बंगाल के सात लोग शामिल हैं। इनमें से अधिकांश हाई प्रोफाइल के न होकर वह सामान्य लोग हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है, वह भी बिना किसी स्वार्थ या लालच के। इनमें से एक नाम बेहद खास है डॉक्टर अरुणोदय मंडल का।
हरिद्वार से निकली गंगा चार राज्यों को जीवन देती हुई जिस गंगा सागर तट पर सागर में मिलती है। उसी सुंदरवन इलाके के विकास से वंचित जंगली और ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर गरीबों का इलाज करने वाले डॉक्टर अरुणोदय मंडल को केन्द्र सरकार ने ‘पद्मश्री’ सम्मान से नवाजा है। डॉ. मंडल इस सम्मान से बेहद खुश हैं। डॉ. मंडल ने कहा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सुंदरवन जैसे ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर दिल्ली के दरबार हॉल में राष्ट्रपति के हाथों देश की दिग्गज हस्तियों के सामने सम्मानित होऊँगा।” प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथ से सम्मानित होना सुंदर और आधुनिक व्यवस्था मेरे मन की स्मृति हमेशा के लिए अमर हो गई है।
उन्होंने बताया कि उनका जन्म 01 फरवरी, 1953 को सुंदरवन के हिंगलगंज ब्लॉक के चंद्रखाली पंचायत क्षेत्र में हुआ था। मेरे चार भाई और पांच बहनें थीं। मैंने अपने पिता और दादा द्वारा स्थापित चंद्रखाली शिक्षा निकेतन में पढ़ाई की। वर्ष 1968 में मैंने स्कूल (10वीं) पास किया और टाकी गवर्नमेंट कॉलेज से विज्ञान में प्री-यूनिवर्सिटी पास की। मैंने कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज (1973-79) से एमबीबीएस किया। उसके बाद चार दशकों से भी अधिक समय से लोगों की सेवा कर रहा हूं। उनका मुख्य चिकित्सा क्षेत्र सुंदरवन ही है। उन्होंने कहा, ‘2020 में पद्मश्री पाने वालों में मेरा नाम भी था। मुझे 25 जनवरी की शाम को खबर मिली। पुरस्कार 20 मार्च को मिलने वाले थे लेकिन दो दिन पहले ही लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इसलिए अब मिला है।’
अरुणोदय ने बताया कि वह अपनी पत्नी अपर्णा, बेटे अर्नब (डॉक्टर), बहू सोहिनी, पोते अग्निव के साथ दिल्ली गए थे। वहां मुझे जो सबसे ज्यादा पसंद आया वह यह था कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसी शख्सियतों ने आकर व्यक्तिगत रूप से मुझसे बात की थी। उन्होंने मेरी समस्या और सपनों के बारे में जानना चाहा और उसके लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजने को कहा है।