पुर्तगाल का युवा नाविक वास्को डि गामा राजधानी लिस्बन से 08 जुलाई 1497 को भारत तक पहुंचने के समुद्री मार्ग की खोज में निकला। वास्को-डि-गामा का पहला ठिकाना बना दक्षिण अफ्रीका।
दक्षिण अफ्रीका से निकल कर आगे बढ़ने पर वास्को डि गामा के कई साथी बीमार पड़ने लगे जिससे यात्रा मोजाम्बिक में रोकनी पड़ी। यहां के सुल्तान को वास्को डि गामा ने यूरोपीय उपहार दिए, इससे खुश सुल्तान ने वास्को डि गामा की भरपूर मदद की और भारत का रास्ता खोजने में भी मदद की।
आखिरकार, करीब 10 महीने के सफर के बाद 20 मई 1498 को वास्को-डि-गामा केरल के कोझीकोड जिले के कालीकट(काप्पड़ गांव) तट पर पहुंच गए। कालीकट में तीन महीने बिताने के बाद वो वापस पुर्तगाल लौटे। जब उन्होंने अपना सफर शुरू किया था तो उनके साथ 199 नाविक थे, लेकिन जब वो वापस पहुंचे तो उनके सिर्फ 55 नाविक जिंदा बचे थे।
वास्को डी गामा की इस खोज ने पश्चिमी देशों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए। 1502 में दोबारा भारत आए वास्को डी गामा ने कोच्चि के राजा से व्यापार करने का समझौता किया।