नयी दिल्ली : दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट मामले में बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है। बिभव कुमार फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
सुनवाई के दौरान आज राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल तीस हजारी कोर्ट में रो पड़ीं। सुनवाई के दौरान बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों को मालीवाल के मुख्यमंत्री से अपॉइंटमेंट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसके बाद उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया, लेकिन वह जबरन अंदर घुस गई और प्रतीक्षा कक्ष में जा बैठीं और सुरक्षाकर्मियों से मुख्यमंत्री के पीए बिभव कुमार से बात करने को कहा। हरिहरन ने कहा कि सांसद बनने से आपको अपनी मर्जी से कुछ भी करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है। मालीवाल की तरफ से उकसावे की कार्रवाई की गई और कहा गया कि क्या आप एक सांसद को बाहर इंतजार करवाएंगे।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि पीड़ित महिला की छवि बहुत अच्छी है। उस अकेली महिला को छाती और गर्दन पर मारा गया, उसे घसीटा गया, जिस दौरान उसका सिर सेंटर टेबल से टकरा गया। य़ह सवाल नहीं है कि क्या इससे उसकी मौत नहीं हो सकती। आप एक महिला को इस तरह से मार रहे हैं कि उसका बटन खुल गया। उन्होंने कहा कि वह मौजूदा सांसद हैं। वह दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन रह चुकी हैं। आम आदमी पार्टी स्वाति को लेडी सिंघम कहती थी। अब कहा जा रहा है कि वह बिभव कुमार की छवि खराब करने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत वहां गई थी।
सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल के वकील माधव खुराना के दलील देने पर हरिहरन ने कोर्ट में आपत्ति दर्ज करायी। इस दौरान दोनों बीच तीखी बहस हुई। उसके बाद वकील माधव खुराना ने दलील देते हुए कहा कि जांच में बिभव ने सहयोग नहीं किया। वह सवालों के सीधे-सीधे जवाब नहीं दे रहे हैं। अगर स्वाति की मेडिकल जांच तीन-चार दिन बाद भी हो रही है तो इसका मतलब य़ह नहीं कि उस जांच का कोई मतलब नहीं रहा। तब भी अहमियत रखती है।
कोर्ट ने बिभव कुमार की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को 24 मई को नोटिस जारी किया था। इस मामले में स्वाति मालीवाल ने 17 मई को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था। घटना 13 मई की है। दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की थी।
बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में रो पड़ीं स्वाति मालीवाल
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल अपने साथ मारपीट के आरोपित बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान तीस हजारी कोर्ट में रो पड़ीं। बिभव कुमार की ओर से पेश वकील एन हरिहरन ने अपनी दलीलें पूरी कर ली।
सुनवाई के दौरान हरिहरन ने कहा कि इस मामले में दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 308 लगाई गई है। यह देखना होगा कि यह धारा बनती भी है या नहीं या उसे ऐसे ही लगा दिया गया है। हरिहरन ने कहा कि स्वाति मालीवाल ने यह नहीं कहा कि वह मुख्यमंत्री के बुलाने पर वहां गई थीं। वह सीधे आवास में घुस गईं। यह अतिक्रमण के बराबर है। इसे लेकर हमने मालीवाल के खिलाफ अतिक्रमण की शिकायत भी की है। उन्होंने अपनी दलील में सवाल उठाया कि क्या कोई इस तरह से किसी के आवास में घुस सकता है। यह राज्य के मुख्यमंत्री का आवास है। स्वाति मालीवाल ने अंदर जाने की कोशिश की तो सुरक्षाकर्मियों ने आपत्ति की, जिसे उन्होंने अनदेखा कर दिया।
हरिहरन ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों को मालीवाल के मुख्यमंत्री से अपॉइंटमेंट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसके बाद उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया, लेकिन वह जबरन अंदर घुस गई और प्रतीक्षा कक्ष में जा बैठीं और सुरक्षाकर्मियों से मुख्यमंत्री के पीए बिभव कुमार से बात करने को कहा। हरिहरन ने कहा कि सांसद बनने से आपको अपनी मर्जी से कुछ भी करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है। मालीवाल की तरफ से उकसावे की कार्रवाई की गई और कहा गया कि क्या आप एक सांसद को बाहर इंतजार करवाएंगे।
हरिहरन ने कहा कि स्वाति मालीवाल अपने मन में कुछ सोच कर आई थीं। वह आने से पहले योजना बनाकर आई थीं। स्वाति ने बार-बार सुरक्षाकर्मियों से पूछा कि क्या उन्होंने बिभव से बात की है। अनधिकृत प्रवेश स्वाति ने किया और एफआईआर बिभव के खिलाफ है। यह किस तरह की जांच है।
कोर्ट ने 24 मई को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।
इस मामले में स्वाति मालीवाल ने 17 मई को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था। घटना 13 मई की है। दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की थी।