इतिहास के पन्नों में 29 मईः इसलिए मनाया जाता है माउंट एवरेस्ट दिवस

देश-दुनिया के इतिहास में 29 मई की तारीख कई कारणों से खास है। दरअसल, 29 मई, 1953 को दो लोगों ने वह कारनामा कर दिखाया था जो एक सपना ही बना हुआ था। एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग नॉर्गे ने इसी रोज बर्फ से ढकी ऊंची और दुर्गम चोटी एवरेस्ट पर फतह हासिल की थी।

इसी सफलता की स्मृति में हर साल 29 मई को माउंट एवरेस्ट दिवस मनाया जाता है। हिलेरी को इस सफलता के लिए ब्रिटेन की महारानी ने ‘नाइट’ की उपाधि दी थी।

भारत की पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल वर्ष 1984 में एवरेस्ट की चोटी पर विजय प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की थी। वर्ष 1984 में भारत ने एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक टीम बनाई थी। इस टीम में 16 लोग थे। इसमें 11 पुरुष पर्वतारोही और पांच महिला पर्वतारोही थीं। कठिन चढ़ाई और तूफान को हराकर बिछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली महिला बनीं।

बिछेंद्री पाल को उनके साहसिक कारनामे के लिए अर्जुन अवार्ड, पदमश्री पुरस्कार, पर्वतारोहण फाउंडेशन की ओर से स्वर्ण पदक और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से स्वर्ण पदक प्रदान किया जा चुका है। माउंट एवरेस्ट की चोटी दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। इस पर्वत का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया। जॉर्ज एवरेस्ट 1830 से 1843 तक भारत के महासर्वेक्षक थे।

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