इतिहास के पन्नों में 03 जून : भारत की आजादी और अंग्रेजों की कुटिल योजना

1947 में भारत की आजादी से पूर्व अंग्रेजों ने 3 जून की योजना तैयार की, जिसे माउंटबेटन योजना भी कहते हैं। इसमें तय किया जाना था कि अंग्रेजों के जाने के बाद भारत का शासन कैसे चलेगा। लेकिन इसका असली मकसद भारत का बंटवारा था।

योजना में भारत और पाकिस्तान नाम के दो डोमिनियन स्टेट बनाने की बात की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि बंगाल और पंजाब का विभाजन किया जाएगा और उत्तर पूर्वी सीमा प्रांत के साथ असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराया जाएगा।

दरअसल, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। भारत में भी आजादी की मांग तेज हो गई थी। भारतीय नौसेना के विद्रोह ने अंग्रेजों को हिला दिया था। इसलिए उन्हें भारतीयों को आजादी देने की दिशा में कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ऐसे में 3 जून को लॉर्ड माउंटबेटन ने एक योजना प्रस्तुत की जिसे तीन जून की योजना या माउंटबेटन योजना कहा जाता है।माउंटबेटन ने योजना प्रस्ताव करते समय कहा था कि अगर इस योजना को सभी पक्षों ने स्वीकार नहीं किया तो अंग्रेजों को बिना औचपारिकता पूरी किए ही भारत छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने तब कहा था कि अंग्रेज 22 जून 1948 से आगे भारत में नहीं रुक सकते हैं।

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