देश-दुनिया के इतिहास में 04 जून की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह ऐसी तारीख है जिसे चीन के शासक कभी याद नहीं करना चाहता। हुआ यूं था कि 04 जून 1989 को चीन की राजधानी बीजिंग के थियानमेन चौक पर सेना ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हजारों निहत्थे नागरिकों पर बंदूकों और टैंकों से कार्रवाई की।
इसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए। इसे इतिहास में थियानमेन चौक नरसंहार के तौर पर जाना जाता है। इस घटना की रिपोर्टिंग पर चीन में आज भी कड़े प्रतिबंध हैं।
वर्तमान में इस चौक में एक साथ छह लाख लोग जमा हो सकते हैं। डॉक्टर सन-यात-सेन की अगुवाई में साल 1911 में हुई क्रांति से पहले ये चौक चीन में एक खेल का मैदान था। 1911 में हुई क्रांति के समय चीन के आखिरी बादशाह को हटाए जाने के बाद से इस चौक का इस्तेमाल राजनीतिक कार्यों के लिए होने लगा।
इस चौक ने असल में राजनीतिक हैसियत तब हासिल की जब साल 1949 में एक खूनी गृह युद्ध के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन में सत्ता हासिल की। एक अक्टूबर 1949 को तियेनएनमेन चौक में जमा जनता के सामने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन चेयरमैन माओ ने चीनी गणराज्य की स्थापना की घोषणा की थी।