इतिहास के पन्नों में 14 जूनः वो तारीख… जब पड़ी भारत के बंटवारे की नींव

देश-दुनिया के इतिहास में 14 जून की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। वैसे तो हर तारीख अपने अंदर कोई न कोई कहानी समेट कर रखती है। ऐसी ही एक तारीख है-14 जून , 1947। इसी तारीख को कांग्रेस कार्यसमिति ने भारत विभाजन के लिए माउंटबेटन योजना के प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के समक्ष रखा था। अगले दिन इस प्रस्ताव पर सहमति बनी और उसे स्वीकार कर लिया गया।

कहते हैं कि कुछ लोग ‘निजी स्वार्थ’ के लिए सियासी लकीर खींचने को तैयार हो गए। यह ऐसी लकीर है, जिसने सबकुछ तकसीम कर दिया था। इस तकसीम में मुल्क, कौम, रिश्ते, नदी-तालाब ही नहीं इंसान भी भेंट चढ़ गए। खूनी खेल खेला गया। भारत (हिन्दुस्तान) का जिस्म बंट गया। दोनों अलग हुए और एक हिस्सा पाकिस्तान बन गया। इकबाल की पेशीन गोई और जिन्ना का ख्वाब ताबीर की जुस्तजू में भटकता हुआ पंजाब के उस पार पहुंच गया। कारवां आर-पार होते हुए अपने अनजाने मंजिल की तरफ रवाना हो गए।

इस तकसीम में तमाम औरतों और बच्चियों का बलात्कार हुआ। इन वाकयात पर मंटो अपने अफसानों में कहते हैं, ” मैं उन बरामद की हुई लड़कियों और औरतों के मुताल्लिक सोचता तो मेरे जेहन में सिर्फ फूले पेट उभरते हैं। इन पेटों का क्या होगा। इनमें जो कुछ भरा है, उसका मालिक कौन है, पाकिस्तान या हिन्दुस्तान।” कांग्रेस के प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद इस योजना की घोषणा भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नई दिल्ली में की थी। 1930 में मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग करने वाले पहले व्यक्ति अल्लामा इकबाल थे। 1947 की यह तारीख दोनों मुल्कों के बीच नफरत के जो बीज बो गई थी वह आज खतरनाक पेड़ बन चुका है।

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