नयी दिल्ली : तीन नए कानूनों को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से कानून मंत्रालय देश भर में सम्मेलन का आयोजित कर रहा है। ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत के प्रगतिशील पथ’ की श्रृंखला में कानून एवं न्याय मंत्रालय का तीसरा सम्मेलन रविवार को कोलकाता में आयोजित किया जाएगा।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के मुताबिक 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्वारा “भारतीय न्याय संहिता 2023”, “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023” और “भारतीय सुरक्षा अधिनियम, 2023” को मंजूरी दी गई थी। इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है। ये नए आपराधिक कानून 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होंगे। ऐसे में इन तीनों कानूनों के बारे में स्पष्टता और जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से नई दिल्ली और गुवाहाटी में दो प्रमुख सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं। इसी क्रम में तीसरा सम्मेलन कोलकाता के आईटीसी रॉयल बंगाल, हाल्डेन एवेन्यू में आयोजित किया जा रहा है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. शिवगणनम उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। सम्मेलन को भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी संबोधित करेंगे। सम्मेलन में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार राज्यों के न्यायाधीशों और विभिन्न उच्च न्यायालयों, जिला और निचली अदालतों के पूर्व न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, पुलिस अधिकारियों जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन में लोक अभियोजक, जिला प्रशासन, राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों और अन्य कानून कॉलेजों के कानून के छात्र भी भाग लेंगे। सम्मेलन का उद्देश्य सार्थक बातचीत, विचार-विमर्श और प्रश्नोत्तर सत्रों के माध्यम से तीन नए आपराधिक कानूनों की मुख्य विशेषताओं को सामने लाना है।
दो सत्रों में आयोजित इस सम्मेलन के पहले सत्र में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के कार्यान्वयन का आंकलन करने के लिए तुलनात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर केंद्रित चर्चा होगी। दूसरे तकनीकी सत्र में भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (बीएसए) के मुख्य पहलुओं पर चर्चा की जाएगी यानी साक्ष्य, अपराध पर निर्णय लेने में आधारशिला। चर्चाएं “दस्तावेज़ों” और “सबूत” के विस्तृत दायरे पर केंद्रित होंगी, जो व्यापक परिभाषाओं की शुरूआत से सुगम होंगे।