देश-दुनिया के इतिहास में 11 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख ने भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई को गहरे जख्म दिए हैं। दरअसल पिछले कुछ दशकों से आतंकवाद दुनियाभर में नासूर बनकर उभरा है।
11 जुलाई, 2006 को आतंकवादियों ने मुंबई की लोकल रेलगाड़ियों में से कुछ में एक के बाद एक कई बम धमाके किए। इन धमाकों में 187 लोगों की मौत हो गई और लगभग 700 लोग घायल हुए। यह एक ऐसा जख्म है, जिसकी टीस उभरती रहती है।
हर एक धमाके के बीच एक या दो मिनट से अधिक का ही अंतर था।
तीन विस्फोट बांद्रा-खार रोड, मीरा रोड-भायंदर और माटुंगा रोड-माहिम स्टेशनों के बीच हुए थे। इसके अलावा तीन अन्य धमाके तब हुए, जब ट्रेनें माहिम, जोगेश्वरी और बोरीवली स्टेशनों से रवाना हो रही थीं। सबसे अधिक लोगों की जान माहिम में हुए धमाके में गई थी। चर्चगेट-बोरिवली के बीच चलने वाली लोकल में 43 लोग मारे गए थे। इसके अलावा मीरा रोड-भयंदर के बीच चलने वाली लोकल में 31 लोगों की मौत हुई थी। चर्चगेट-विरार लोकल में 28 लोग, चर्चगेट-बोरिवली लोकल में 28, चर्चगेट-विरार (बोरिवली) लोकल में 26 लोग, चर्चगेट-बोरिवली (बांद्रा-खार रोड) लोकल में 22 और चर्चगेट लोकल में नौ लोगों की मौत हुई थी। यह सभी बम धमाके मुंबई के वेस्टर्न लाइन पर चलने वाली लोकल ट्रेनों में हुए थे।
इन बम धमाकों के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया गया। विस्फोट इतने शक्तिशाली थे कि ट्रेनों के परखच्चे उड़ गए। इन बम धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। बम धमाकों की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।