कोलकाता : पश्चिम बंगाल की सरकार ने तीन नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है, लेकिन इस समिति को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। राज्य के विपक्षी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस समिति को अवैध बताया है, जबकि राज्य की वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया है।
दरअसल, राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर सात सदस्यीय समिति का गठन किया, जो भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन की समीक्षा करेगी। इस समिति का नेतृत्व पूर्व न्यायाधीश असीम कुमार राय करेंगे, और इसके अन्य सदस्य राज्य के कानून मंत्री मलय घटक, वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, राज्य के अधिवक्ता जनरल किशोर दत्ता, राज्य पुलिस के डीजी राजीव कुमार, कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल और वकील संजय बसु होंगे।
शुभेंदु अधिकारी का हमला
गुरुवार सुबह, शुभेंदु अधिकारी ने ट्वीट करके इस समिति को अवैध करार दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी की गई यह अधिसूचना केवल अवैध ही नहीं है, बल्कि संघीय ढांचे के खिलाफ है। यह प्रयास भारतीय संसद और राष्ट्रपति की शक्तियों को चुनौती देता है।
उन्होंने यह भी कहा कि नए आपराधिक कानूनों पर चार वर्षों तक व्यापक चर्चा हुई है, और संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर 2023 को इन पर सहमति दी थी। गृह मंत्रालय े 24 फरवरी 2024 को अधिसूचना जारी की थी कि ये कानून एक जुलाई से प्रभावी होंगे। ऐसे में राज्य सरकार के पास इन कानूनों की समीक्षा का अधिकार नहीं है।
चंद्रिमा भट्टाचार्य का जवाब
चंद्रिमा भट्टाचार्य ने शुभेंदु अधिकारी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 का उल्लेख करते हुए ही इस समिति का गठन किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार है। हमारे सुझावों पर राष्ट्रपति विचार करेंगे और हमें विश्वास है कि वे अपनी जिम्मेदारी जानते हैं। लेकिन शायद शुभेंदु बाबू ‘एलओपी’ होने के नाते ज्यादा जानते हैं।
राज्यपाल की प्रतिक्रिया
इस समिति के गठन के बाद राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि इस समिति का गठन क्यों किया गया और इसका कार्य क्या होगा। राज्यपाल ने कहा कि देश के भीतर पश्चिम बंगाल अलग देश नहीं बन सकता और न ही एक बनाना रिपब्लिक बन सकता है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से बनाई गई यह समिति नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा करेगी और देखेगी कि क्या राज्य स्तर पर इन कानूनों का नाम बदलने की जरूरत है। राज्य सरकार ने पहले ही केंद्र को नए दंड संहिता कानून पर अपनी आपत्तियों से अवगत कराया था।