देश-दुनिया के इतिहास में 24 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारतीय शतरंज खिलाड़ी एस विजयालक्ष्मी के जीवन के लिए खास है। शह और मात के इस खेल में अपने धैर्य से प्रतिद्वंद्वी को गलती करने पर मजबूर करने वालीं एस विजयालक्ष्मी ने वर्ष 2000 में 24 जुलाई को ही देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर होने का गौरव हासिल किया। 25 मार्च 1979 को जन्मी विजयालक्ष्मी ने कम उम्र से ही शतरंज के टूर्नामेंट जीतने शुरू कर दिए थे। राष्ट्रीय खिताब के अलावा वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने फन का लोहा मनवाने में कामयाब रहीं।
साल 1995 एस विजयालक्ष्मी के लिए कुछ बड़ा लाने रहा। इस साल उन्होंने इंटरनेशनल विमेन मास्टर टाइटल अपने नाम किया। इसके बाद उनकी ख्याति विदेश में होने लगी। 1998 में विजयालक्ष्मी ने एनिबल ओपन में रूसी ग्रैंड मास्टर मिखाइल कोबालिया को हराकर सनसनी मचाई। अब तक वह चार बार नेशनल चैंपियन बन चुकी थीं।
विजयालक्ष्मी को चेस खेलने की प्रेरणा उनके पिता से मिली। उन्हीं के साथ खेल-खेल में विजयालक्ष्मी ने चेस खेलना सीखा। चेस में नाम कमाने के बाद विजयालक्ष्मी ने चेस ग्रैंडमास्टर श्रीराम झा से शादी की। उनकी बहनें सुब्बारमन मीनाक्षी और एस भानुप्रिया भी शतरंज की बेहतरीन खिलाड़ी हैं।