कोलकाता : बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर एक भावुक और आक्रोशपूर्ण टिप्पणी की है। तसलीमा ने सोशल मीडिया पर बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए कहा कि 2002 तक उनके साथ गहरा संबंध था, लेकिन उसके बाद चीजें बदल गईं।
तसलीमा ने कहा, “2003 से पहले अगर मैंने बुद्धदेव भट्टाचार्य की मौत की खबर सुनी होती तो मैं जरूर रो पड़ती। लेकिन उनके जीते जी उन्होंने मुझे इतना आहत किया कि अब मेरे आंसू सूख चुके हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह खुद को बुद्धदेव से ज्यादा खांटी वामपंथी मानती हैं क्योंकि वह नास्तिक, नारीवादी और धर्मनिरपेक्षता की प्रबल समर्थक हैं।
2003 में तसलीमा की किताब “द्विखंडित” पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को लेकर उन्होंने बुद्धदेव भट्टाचार्य की कड़ी आलोचना की। तसलीमा का दावा है कि उनके इस कदम से बुद्धदेव के साथ उनका संबंध बिगड़ गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बुद्धदेव भट्टाचार्य ने इस्लामिक समुदाय की नाराजगी से बचने के लिए उनकी किताब पर प्रतिबंध लगाया, जो एक वामपंथी नेता के लिए उचित नहीं था।
तसलीमा ने यह भी आरोप लगाया कि 2007 में बुद्धदेव भट्टाचार्य ने उन्हें कोलकाता छोड़ने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने कहा, “मुझे साढ़े चार महीने तक नजरबंद रखा गया ताकि मैं हताश होकर देश छोड़ दूं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। आखिरकार, एक कुरूप नाटक करके मुझे बाहर कर दिया गया।”
तसलीमा नसरीन की यह टिप्पणी बुद्धदेव भट्टाचार्य के प्रति उनकी गहरी नाराजगी को दर्शाती है, जो भट्टाचार्य के जीवन के अंतिम समय तक कायम रही। हालांकि उन्होंने अंत में लिखा, “कमरेड, लाल सलाम।”