कोलकाता : आरजी कर अस्पताल में हुए दो बड़े तोड़फोड़ के मामलों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से इन घटनाओं पर विस्तृत हलफनामा मांगा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मृतक डॉक्टर की तस्वीर और नाम सार्वजनिक न किए जाएं, और इसके लिए सोशल मीडिया तथा समाचार माध्यमों को चेतावनी दी गई है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से यह सवाल किया कि अस्पताल में अचानक से कमरे को तोड़ने की इतनी जल्दी क्यों थी? और उस स्थान को सुरक्षित बताने के दावे पर भी सवाल उठाए। राज्य के वकील ने जवाब में बताया कि डॉक्टरों की मांग पर अतिरिक्त विश्राम कक्ष का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन अदालत ने इसपर भी संदेह व्यक्त किया।
इसके अलावा, अदालत ने पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस स्वयं को सुरक्षित नहीं कर पा रही है और न ही वह जनता को नियंत्रित कर पा रही है, फिर वह कानून-व्यवस्था कैसे बनाए रखेगी?
सीबीआई को इस मामले की जांच के लिए स्वतंत्रता दी गई है, और जांच की प्रगति पर अगली सुनवाई में रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने अस्पताल परिसर में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है।
कोर्ट ने घटना स्थल की सुरक्षा के दावे पर भी राज्य सरकार से विस्तार से जानकारी देने को कहा है। राज्य की ओर से दावा किया गया था कि घटनास्थल सुरक्षित है, लेकिन अदालत ने इस दावे की पुष्टि के लिए हलफनामा जमा करने को कहा है। अदालत ने इस मामले में पुलिस की खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठी होने के बावजूद पुलिस खुफिया एजेंसियां इस पर ध्यान क्यों नहीं दे पाईं, यह समझ से बाहर है।
अंत में, हाई कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की भूमिका पर भी सख्त रुख अख्तियार किया। कोर्ट ने केंद्र सरकार की सुरक्षा बलों की तैनाती का भी संकेत दिया है।