आरजी कर कांडः डीएनए और फोरेंसिक साक्ष्यों पर एम्स विशेषज्ञों से सलाह लेगी सीबीआई

कोलकाता : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई ने अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों से डीएनए और फोरेंसिक रिपोर्ट पर सलाह लेने का निर्णय लिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि सीबीआई इन रिपोर्टों को एम्स भेजकर उनकी राय लेगी।

सीबीआई यह पता लगाने के लिए इन रिपोर्टों का उपयोग करेगी कि क्या इस अपराध में केवल संजय रॉय ही संलिप्त था या इसमें अन्य लोग भी शामिल थे। अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल एजेंसी के पास जो सुराग हैं, वे बताते हैं कि रॉय ही इस अपराध में अकेला आरोपित है लेकिन एम्स विशेषज्ञों की राय मिलने के बाद ही अन्य की संलिप्तता को खारिज किया जाएगा।

यह घटना तब सामने आई जब नौ अगस्त की सुबह अस्पताल के चेस्ट विभाग के सेमिनार हॉल में एक डॉक्टर ने गंभीर चोटों के साथ पीड़ित का शव पाया। इस घटना के बाद व्यापक प्रदर्शन हुए। कोलकाता पुलिस ने 10 अगस्त को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संजय रॉय को गिरफ्तार किया था, जिसमें वह नौ अगस्त की सुबह 4:03 बजे सेमिनार हॉल में प्रवेश करता हुआ दिखाई दे रहा था।

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर रॉय से गहन पूछताछ की गई और पुलिस ने उसके चेहरे, हाथ और जांघ पर संघर्ष के निशान पाए। उसके जैविक नमूने भी एकत्र किए गए, जिनमें मूत्रमार्ग स्वाब, वीर्य, बाल, नाखून के कतरन और नाखून की खुरचन शामिल हैं।

13 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस से जांच को सीबीआई को हस्तांतरित करने का आदेश दिया, जिसके बाद सीबीआई ने 14 अगस्त से जांच शुरू की। सीबीआई ने कोलकाता पुलिस से सभी फोरेंसिक साक्ष्य अपने कब्जे में लिए और मामले में आगे के सुराग जुटाने के लिए रॉय, मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, चार ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और एक नागरिक स्वयंसेवक का पॉलीग्राफ परीक्षण भी किया।

प्रारंभिक रिपोर्टों का विश्लेषण किया जा रहा है और जांच को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें साक्ष्यों से जोड़ा जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, पॉलीग्राफ परीक्षण से संदिग्धों और गवाहों के बयानों में असमानताओं का मूल्यांकन करने में मदद मिल सकती है। हालांकि ये परीक्षण कानूनी रूप से मान्य नहीं होते और केवल जांच में आगे बढ़ने के लिए सुराग के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

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